"हमसे शिवसेना का चिन्ह कोई नहीं छीन सकता"- एकनाथ शिंदे गुट पर फिर हमलावर हुए उद्धव ठाकरे

एकनाथ शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों के एक धड़े की बगावत की वजह से तीन दलों के गठबंधन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) की सरकार गिर गई थी.

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मुंबई:

Maharashtra News: महाराष्‍ट्र में एकनाथ शिंदे गुट के बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने शुक्रवार को पहली प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की, इसमें ठाकरे बेहद हमलावर मूड में नजर आए. उन्‍होंने कहा, "शिवसेना का चिह्न हमसे कोई नहीं छीन नहीं सकता.तीर और कमान' उनकी पार्टी का चुनाव चिह्न रहेगा." ठाकरे ने एकनाथ शिंदे से चुनौती भरे लहजे में कहा कि वे शिवसेना को चुनाव चिह्न छीनकर दिखाएं.‘उद्धव ठाकरे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट  का 11 जुलाई का फैसला सिर्फ शिवसेना का ही नहीं बल्कि भारतीय लोकतंत्र का भविष्य भी तय करेगा.उन्‍होंने राज्‍य में मध्‍यावधि चुनाव की मांग की.

उद्धव ने इस अवसर पर कहा, "बहुत दिन बाद आप सभी का मातोश्री में स्वागत है. आप सभी को सम्मान से यहां बुलाया है और बिना किसी देरी के आप यहां  आए हैं और विश्वास है कि भविष्य में भी आप आएंगे. मैं आज आपसे दो तीन मुद्दों पर बात करने बुला रहा हूं.  दो दिन में आशादी एकादशी है जिसमें लाखों लोग पंढरपुर जाएंगे और माऊली का दर्शन लेंगे. लोगों ने मुझसे भी कहा कि आप आइए, मैं आऊंगा लेकिन अभी नहीं. लेकिन दो तीन मुद्दों पर आज बात करना है. आज मैंने किसी को यहां बुलाया नहीं, पिछले 15 दिनों से बहुत कार्यकर्ता आ रहे हैं, उनसे बात करते समय सभी के आंखों में आंसू है." शिवसेना प्रमुख का एक बात है जिसे याद रखना चाहिए, उनसे पूछा गया था कि आपको बुरा नहीं लग रहा, तब उन्होंने कहा कि मछली के आंखों के आंसू किसी को दिखाई नहीं देते हैं.

उन्‍होंने कहा, "आपसे बात करने से पहले आज भी मेरी शक्ल पर मास्क था. कुछ दिन पहले मुझे कोविड था, नेगेटिव हुआ. तब डॉक्टर ने कहा कि पोस्ट कोविड परेशानी है क्या, मैंने कहा जो परेशानी मुझे है वो शायद किसी को नहीं है." शिवसेना के चिन्ह धनुष्य बाण को लेकर लेकर कहा, "मैंने सभी को कहा कि धनुष-बाण हमारी है वो हमसे कोई नहीं ले सकता. लेकिन लोग सिर्फ धनुष-बाण नही, किसके पास वो चिन्ह है वो देखते हैं. पिछले कुछ समय से क्या कुछ हुआ वो भी हमने हमारे कार्यकर्ताओं को हमने बताया. शिवसेना का धनुष्य बाण हमसे कोई नहीं ले सकता. ठाकरे ने कहा, "तस्वीरें आ रही हैं कि इतने पार्षद चले गए, लेकिन अब महानगरपालिका चल नहीं रहा है, यह सभी फिलहाल कार्यकर्ता हैं, पार्षद नहीं. दिन ब दिन कार्यकर्ता आ रहे हैं, उस दिन महिला कार्यकर्ता आए, उनकी आंखों में आंसू थे.  मुझे अभिमान है कि शिवसेना ने बिना कुछ देखे छोटे, सादे लोगों को हमने बड़ा किया है.जो लोग बड़े हुए, वो चले गए लेकिन जो सादे लोग हैं वो हमारे साथ ही हैं."

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इस सवाल कि शिवसेना किसकी है, पर ठाकरे ने कहा कि शिवसेना कोई एक सामान नहीं है जिसे कोई लेकर जा सकता. विधिमंडल पक्ष और दूसरा पक्ष, कहने का मतलब है रास्ते का पक्ष मौजूद है.एक समय हमारे एक ही विधायक हैं, अगर वो तभी गए होते तो क्या पार्टी खत्म हो जाती है? नहीं होती है. विधायक जा सकते हैं, पार्टी नहीं जा सकती है. लोगों से कहना चाहता हूँ कि आप इस भरम में ना रहें. विधिमंडल पक्ष अलग है और रजिस्टर्ड पार्टी अलग है. पैसे के दम पर अभी बहुत कुछ हो रहा है लेकिन शिवसेना पार्टी कोई नहीं ले जा सकता है. आज भी जो 15-16 विधायक हैं जो हमारे साथ हैं, उनकी तारीफ की जानी चाहिए. लालच, धमकी दिए जाने के बावजूद वो लोग नहीं गए. ऐसे होने के वजह से ही हम ताकतवर हैं.. इस देश में सत्यमेव जयते हैं, असत्यमेव जयते नहीं. 11 को जो न्याय होना है, वो होगा ही. पूरे देश का ध्यान इसपर है और दुनिया भी देख रही है कि जिस देश में सबसे बड़ा लोकतंत्र है, उसका भविष्य क्या है, वो कितनी ताकतवर है, चारों स्तंभ किस तरह से काम कर रहे हैं, यह दुनिया देख रही है. कानूनी तौर पर जो होना है वो होगा. उन्‍होंने कहा, "जो लोग कलतक चुप है, वो अब कह रहे हैं कि बीजेपी के साथ आ जाये. मैं उनसे भी कहता हूँ कि सूरत जाकर बोलने के बजाय मेरे सूरत पर आपको यह कहना चाहिए था. लेकिन वहाँ जाकर भी आपको हमारे लिए आदित्य के लिए प्यार है, उससे मैं धन्य हूँ. लेकिन यही लोग ढाई साल से हमारे परिवार पर बोल रहे थे, तब इन लोगों ने कुछ नहीं कहा. विकृत तरीके से हमारे बारे में कहा गया और अब आप उनके साथ बैठ रहे हैं. तो अब बताओ कि आपका हमारे तरफ प्रेम सच्चा है या झूठा है, लोगों को यह समझ आएगा. दूसरे कई सवाल हैं जिसका सवाल मैं फिलहाल नहीं दूंगा. महाराष्ट्र की जनता देख रही है, यहाँ लोग धृतराष्ट्र नहीं हैं. इन लोगों को शिवसेना ने बड़ा किया उसके बावजूद उन्होंने ऐसा क्यों किया यह सवाल जनता के मन में है. बाकी मुद्दों पर आगे जाकर बात करेंगे. लोग मुझसे बात कर रहे हैं, कह रहे हैं कि जो हुआ वो गलत है. विधानसभा का चुनाव दोबारा करो, जो सच्चा होगा वो जीतेगा. आज जो आपलोग कर रहे हैं, वो ढाई साल पहले किया होता तो ऐसा अंकुश होता ही नहीं. विधानसभा का चुनाव होना चाहिए, जनता तय करेगी कि कौन किसके साथ हैं. आने वाले कुछ दिनों में प्रश्न उत्तर नहीं करूंगा, जो मुझे कहना है वो कहूंगा. 

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ठाकरे ने कहा, "सम्मान से मैंने पहले भी आवाहन दिया है, जो लोग ढाई साल तक हमारे खिलाफ बोल रहे थे, आप उनके साथ जाना चाहते हैं क्या .. मुझे आपकी नहीं, मेरे शिवसैनिक की फिक्र है, उनके आंख के आंसू की फिक्र है. पूरे देश का ध्यान इस पर है और दुनिया भी देख रही है कि जिस देश में सबसे बड़ा लोकतंत्र है, उसका भविष्य क्या है, वो कितनी ताकतवर है, चारों स्तंभ किस तरह से काम कर रहे हैं, यह दुनिया देख रही है. कानूनी तौर पर जो होना है वो होगा. जो लोग कल तक चुप है, वो अब कह रहे हैं कि बीजेपी के साथ आ जाएं. मैं उनसे भी कहता हूँ कि सूरत जाकर बोलने के बजाय मेरे सूरत पर आपको यह कहना चाहिए था, लेकिन वहां  जाकर भी आपको हमारे लिए, आदित्य के लिए प्यार है, उससे मैं धन्य हूं. लेकिन यही लोग ढाई साल से हमारे परिवार पर बोल रहे थे, तब इन लोगों ने कुछ नहीं कहा. विकृत तरीके से हमारे बारे में कहा गया और अब आप उनके साथ बैठ रहे हैं तो अब बताओ कि आपका हमारे तरफ प्रेम सच्चा है या झूठा है? उद्धव ठाकरे ने  यह भी कहा कि आप लोग उस पार्टी के साथ जा बैठे हैं जो मेरे बेटे को अंदर डालने की तैयारी कर रही थी.

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