उत्तर प्रदेश में UAPA के तहत सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां, इनमें 70% युवा, अन्य राज्यों का भी यही हाल

UAPA arrest cases : गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सोमवार को लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में ये जानकारी दी. इस जवाब के दौरान सरकार ने यह भी बताया था कि मौजूदा समय में वो इस कानून में किसी बदलाव पर विचार नहीं कर रही है.

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uapa news : यूएपीए के तहत सबसे ज्यादा गिरफ्तारी यूपी में हुईं (प्रतीकात्मक)
नई दिल्ली:

यूएपीए यानी गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (UAPA  Arrest)  को लेकर अहम जानकारी सामने आई है. यूएपीए के तहत पिछले तीन साल में जितनी गिरफ्तारियां हुई हैं, उनमें से 50 पीसदी से ज्यादा 30 साल से कम उम्र के युवा हैं और इनमें भी सबसे ज्यादा गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) , मणिपुर (Manipur) और जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में हुई हैं.  गृह मंत्रालय ने लोकसभा में इसको लेकर आंकड़े जारी किए हैं. इसके मुताबिक, वर्ष 2018 से 2020 के बीच यूएपीए के तहत गिरफ्तार लोगों का पूरा ब्योरा है. इसमें कहा गया है कि पिछले तीन सालों में 4690 लोगों को इस कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है.

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इनमें से 2501 यानी 53.32 फीसदी की उम्र 30 साल से कम की है. अगर राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 1338 लोगों की गिरफ्तारियां पिछले तीन साल के दौरान हुई हैं. इनमें से 69.58 फीसदी यानी 931 लोग 30 साल से कम उम्र के हैं. मणिपुर का नंबर दूसरे स्थान पर हैं, जहां तीन साल के दौरान 943 लोगों की इस कानून के तहत पकड़ा गया है. इनमें से 499 यानी 52.91 फीसदी 30 साल से कम उम्र के हैं. जम्मू-कश्मीर में 766 लोग इस कानून के तहत गिरफ्तार हुए हैं, इनमें से 366 युवा हैं. 

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गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सोमवार को लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में ये जानकारी दी. इस जवाब के दौरान सरकार ने यह भी बताया था कि मौजूदा समय में वो इस कानून में किसी बदलाव पर विचार नहीं कर रही है. इसको लेकर विपक्षी दलों और अन्य समूहों ने सरकार की आलोचना की थी. 

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यूएपीए के तहत दोषी पाए जाने और बरी किए जाने के बारे में गृह मंत्रालय ने कहा कि यह एक विस्तृत न्यायिक प्रक्रिया है और यह सुनवाई के समय, साक्ष्यों और सबूतों और गवाहों की जानकारी पर निर्भर करता है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यूएपीए का दुरुपयोग रोकने के लिए पर्याप्त संवैधानिक, संस्थागत और सांविधिक उपाय किए गए हैं.

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हालांकि विपक्ष आरोप लगाता रहा है कि सरकार इस कानून का इस्तेमाल आलोचकों का दमन करने के लिए कर रही है. हाल ही में त्रिपुरा पुलिस ने पत्रकारों, वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत 102 लोगों को यूएपीए के तहत निरुद्ध किया है. इन पर सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का आरोप है. 

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