- ट्रंप की अप्रत्याशित व्यापार नीतियों ने वैश्विक कूटनीति को राजनीतिक सर्कस में बदल दिया है.
- अमेरिकी राष्ट्रपति ने बेतरतीब टैरिफ थोपकर आर्थिक नीतियों को निजी खुन्नस का हथियार बना दिया है.
- ब्राजील, वियतनाम, कोलंबिया, ईयू, जापान जैसे देशों पर ट्रंप ने धमकी, दबाव में टैरिफ लगाए हैं.
डोनल्ड ट्रंप की वैश्विक मंच पर वापसी कूटनीति कम, ड्रामा ज्यादा लगती है. उनकी अप्रत्याशित और शोमैनशिप से भरी स्टाइल ने गंभीर वैश्विक वार्ताओं को एक राजनीतिक सर्कस में बदल दिया है. उन्होंने आर्थिक नीतियों को निजी खुन्नस का हथियार बना दिया है. दुनिया भर के देशों पर थोपे गए टैरिफ इसका जीता जागता उदाहरण हैं. वह जो गुणा-गणित करके ये टैरिफ थोप रहे हैं, उस पर खुद उन्हीं के देश के अर्थशास्त्री तक सवाल उठा रहे हैं. ट्रंप ने कूटनीति और अर्थनीति का जिस तरह से मजाक बनाया है, उसे इन 9 देशों की दशा देखकर समझा जा सकता है.
वियतनाम - डील के बाद भी टैरिफ बढ़ाया
वियतनाम के अधिकारियों को पहले लगा था कि उन्होंने ट्रंप से डील कर ली है, जिसमें दंडात्मक टैरिफ घटाकर 11% कर दिया जाएगा. लेकिन व्हाइट हाउस की अपनी समयसीमा बीतने से ठीक पहले, ट्रंप ने वियतनामी जनरल सेक्रेटरी से बातचीत के दौरान ही एकतरफा 20% टैरिफ की घोषणा कर दी. इस तथाकथित "डील" की घोषणा को तुरंत सोशल मीडिया पर डाल दिया. वहीं, वियतनाम ने कभी इन नई शर्तों को स्वीकार ही नहीं किया था. ट्रंप के इस कदम ने वियतनामी अधिकारियों को हैरान, निराश और नाराज ही नहीं किया, उनका विश्वास भी तोड़ दिया. विशेषज्ञ इसे अमेरिकी साख को झटके की तरह देख रहे हैं, क्योंकि यह दिखाता है कि समझौता होने के बाद भी ट्रंप शर्तों को कभी भी बदल सकते हैं.
ब्राजील - निजी खुन्नस में थोपा 50% टैरिफ
ट्रंप ने ग्लोबल ट्रेड पॉलिसी को अपनी निजी खुन्नस निकालने और राजनीतिक ड्रामा रचने का हथियार बना लिया है. ब्राजील इसका उदाहरण है. ट्रंप ने ब्राजील को धमकी दी थी कि अगर वो उनके सहयोगी और ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो का ट्रायल नहीं रोकते तो 50% टैरिफ लगा दिया जाएगा. ट्रंप की ये धमकी व्यापार घाटे के कारण नहीं बल्कि निजी वजहों से थी. ट्रंप बोल्सोनारो के ट्रायल को विच-हंट बताते हैं और सोशल मीडिया के जरिए ब्राजीली राष्ट्रपति लूला को खुलेआम धमका रहे थे. यह साफ तौर पर दिखाता है कि ट्रंप ने अपनी व्यापार नीति को निजी बदले का हथियार बना दिया है.
कोलंबिया - ट्रंप की ब्लैकमेल डिप्लोमेसी
डोनल्ड ट्रंप की जबरदस्ती वाली व्यापारिक कूटनीति का एक और उदाहरण इस साल तब देखने को मिला, जब उन्होंने कोलंबिया को टैरिफ और प्रतिबंधों की धमकी दी थी. ये सब इसलिए हुआ क्योंकि कोलंबिया ने अमेरिका के उन दो सैन्य विमानों को अपने यहां उतारने से इनकार कर दिया था, जिनमें अमेरिका से डिपोर्ट किए गए कोलंबियाई नागरिक सवार थे. कोलंबिया के राष्ट्रपति पेट्रो ने ट्रंप के इस कदम पर आपत्ति जताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा था कि अमेरिका कोलंबियाई प्रवासियों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार नहीं कर सकता. ट्रंप की यह कार्रवाई दिखाती है कि उनके लिए अंतरराष्ट्रीय संबंध तर्कसंगत बातचीत पर नहीं, बल्कि दबाव और ब्लैकमेल पर आधारित हैं.
कनाडा - 51वां राज्य बनो या टैरिफ झेलो
ट्रंप ने अमेरिका के अपने करीबी सहयोगी कनाडा को भी नहीं बख्शा. उन्होंने कनाडा से आयातित लगभग सभी सामान पर 25% टैरिफ लगाया. इसका कारण फेंटानिल तस्करी और अवैध इमिग्रेशन में कनाडा की कथित भूमिका को बताया. ट्रंप के टैरिफ लगाने की वजहों को कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पूरी तरह फर्जी करार दिया. ट्रंप ने बाद में टैरिफ को बढ़ाकर 35% कर दिया. सीमापार अवैध दवा भेजने का आरोप लगाते हुए इसे 40 पर्सेंट करने की धमकी दे दी. ट्रंप कनाडा को खुलेआम अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की पैरोकारी करते हैं. इसे लेकर भी कई बार धमकी दे चुके हैं. इसने दोनों देशों के गंभीर संबंधों को सार्वजनिक तमाशे में बदल दिया.
द.अफ्रीका - व्हाइट नरसंहार का आरोप
ट्रंप ने एक और चौंकाने वाला कदम उठाते हुए दक्षिण अफ्रीका पर 30% टैरिफ लगा दिया. इसका कारण व्यापार घाटा नहीं बल्कि चरमपंथी हलकों में फैली एक झूठी साजिश थी, जिसे व्हाइट नरसंहार कहा जाता है. व्हाइट नरसंहार एक मनगढ़ंत और झूठी कहानी है, जिसे दक्षिणपंथी समूह बढ़ावा देते हैं और ट्रंप के MAGA समर्थक खूब प्रचारित करते हैं. ब्रिक्स के अहम सहयोगी देश दक्षिण अफ्रीका पर ट्रंप की स्ट्राइक से जाहिर है कि ट्रंप अपनी व्यापार नीति को गलत सूचना और राजनीतिक लाभ के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं.
यूरोपीय संघ - ब्लैकमेल की रणनीति
ट्रंप ने यूरोपीय संघ के देशों पर 20% टैरिफ लगाया, जिसका EU ने भी जवाबी कार्रवाई से जवाब दिया. जुलाई के अंत में ट्रंप ने अपनी रणनीति बदली और ईयू से अमेरिकी इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग में 600 बिलियन डॉलर निवेश की मांग की. जब EU नहीं माना तो ट्रंप ने 35% टैरिफ लगाने की धमकी दे दी. यह कदम दर्शाता है कि ट्रंप की आर्थिक नीतियां किसी तर्क या समझौते पर आधारित नहीं बल्कि दबाव और ब्लैकमेल पर टिकी हैं.
जापान - 'चिप टैरिफ' अटैक
डोनाल्ड ट्रंप की व्यापारिक नीतियां केवल व्यापारिक घाटे तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये राजनीतिक और व्यावसायिक उद्देश्यों को पूरा करने का हथियार बन गई हैं. इसी का एक और उदाहरण जापान हैं. ट्रंप ने जापान के सेमीकंडक्टर आयात पर 100% का भारी टैरिफ लगा दिया है. इसने जापान के तकनीकी दिग्गज कंपनियों को बुरी तरह प्रभावित किया है. अचानक इस वार से जापानी चिप कंपनियों के स्टॉक में भारी गिरावट आई है. यहां तक कि दिग्गज ऑटोमोबाइल कंपनियां, टोयोटा और होंडा भी इसकी चपेट में आ गई हैं. टोयोटा ने अपनी पहली तिमाही की रिपोर्ट में माना है कि अमेरिकी टैरिफ के कारण उनकी ऑपरेटिंग इनकम में कमी आई है और उन्हें अपने पूर्वानुमान घटाने पड़े हैं.
ताइवान - कंपनियों की ब्लैकमेलिंग
जापान की तरह ही, ट्रंप ने ताइवान पर भी दबाव बनाया है, लेकिन यहां उनका तरीका और भी हैरान करने वाला है. ट्रंप ने ताइवान के निर्यात पर 15% का टैरिफ लगाने की धमकी दी है. उन्होंने शर्त रखी थी कि अगर सेमीकंडक्टर की दिग्गज कंपनी TSMC, अमेरिकी इंटेल में 49% की हिस्सेदारी खरीदने और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 400 बिलियन डॉलर का निवेश करने पर सहमत नहीं हो जाती, तो उस पर ये टैरिफ लगा दिया जाएगा. इस मामले में ट्रंप की कूटनीति, बिजनेस और जबरदस्ती का एक अनूठा मेल दिखता है.
न्यूजीलैंड - अचानक टैरिफ का सरप्राइज
न्यूजीलैंड, जो अमेरिका का लंबे समय से दोस्त है, ट्रंप ने उसे भी नहीं बख्शा. ट्रंप ने उसके टैरिफ को 10% से बढ़ाकर 15% कर दिया. यह तब है, जब न्यूजीलैंड से व्यापार में अमेरिका हावी है. फिर भी ट्रंप ने अपने सहयोगी देश को दंडित किया है. न्यूजीलैंड की वित्त मंत्री निकोला विलिस को इसकी खुलकर तीखी आलोचना करनी पड़ी.