- देहरादून में नस्लीय हिंसा के दौरान त्रिपुरा के 24 वर्षीय छात्र अंजेल चकमा की गंभीर चोटों के कारण मौत हुई.
- अंजेल और उनके भाई माइकल पर स्थानीय लोगों ने नस्लीय टिप्पणियां कीं और उन्हें चीनी कहकर पुकारा था.
- घटना के तीन दिन बाद पुलिस ने FIR दर्ज की और पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया, एक आरोपी अभी फरार है.
देहरादून में नस्लीय हिंसा का शिकार हुए त्रिपुरा के 24 वर्षीय एमबीए छात्र अंजेल चकमा की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. 14 दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझने के बाद अंजेल ने दम तोड़ दिया. यह वही छात्र था, जो हमले के वक्त बार-बार कह रहा था, 'मैं भारतीय हूं.'
घटना 9 दिसंबर की है. अंजेल चकमा अपने छोटे भाई माइकल चकमा के साथ देहरादून के सेलाकुई (सलेकी) बाजार स्थित एक शराब के ठेके पर गया था. इसी दौरान वहां मौजूद कुछ स्थानीय लोगों से कहासुनी हो गई. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, आरोपियों ने दोनों भाइयों पर नस्लीय टिप्पणियां कीं और उन्हें 'चीनी' कहकर पुकारा. दोनों भाई खुद को भारतीय बताते रहे, लेकिन विवाद बढ़ता चला गया.
मारपीट कर फरार हो गए आरोपी
इसी दौरान आरोपियों ने माइकल और अंजेल के साथ मारपीट शुरू कर दी. आरोप है कि झगड़े के बीच अंजेल चकमा की गर्दन पर किसी नुकीली धारदार चीज से हमला किया गया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए. हमले के बाद आरोपी मौके से फरार हो गए.
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14 दिन रहे अस्पताल में भर्ती, फिर तोड़ा दम
गंभीर हालत में अंजेल को देहरादून के ग्राफिक एरा अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वे 14 दिनों तक जिंदगी की जंग लड़ते रहे. इलाज के दौरान आखिरकार अंजेल चकमा की मौत हो गई.
FIR दर्ज करने में पुलिस को 3 दिन लग गए
गिरफ्तार किए गए आरोपी.
घटना के बाद अंजेल के भाई माइकल चकमा ने थाना सेलाकुई में शिकायत दर्ज कराई थी. हालांकि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में तीन दिन का वक्त लिया. 12 दिसंबर को मुकदमा दर्ज हुआ और 14 दिसंबर को पुलिस ने इस मामले में शामिल पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया. एक आरोपी अब भी फरार है.
पहले इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 115(2), 118, 351(3), 61(2) और 109 के तहत केस दर्ज किया गया था. अब छात्र की मौत के बाद पुलिस ने हत्या की धारा 103 BNS भी जोड़ दी है. फरार आरोपी के खिलाफ नॉन-बेलेबल वारंट जारी किया गया है.
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अनुसूचित जनजाति आयोग ने लिया संज्ञान
चकमा भाइयों पर हुए इस नस्लीय हमले का संज्ञान 'राष्ट्रिय अनुसूचित जनजाति आयोग' ने भी लिया. आयोग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बीपुल चकमा ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है. इस क्रम में उन्होंने DGP उत्तराखंड, DM देहरादून और SP देहरादून को नोटिस जारी किया है. नोटिस में संबंधित अधिकारियों को तीन दिन के अंदर जवाब देने के लिए कहा है.
गिरफ्तारी के बाद पांच में से तीन आरोपियों ने कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी. आरोपी अवनीश नेगी की जमानत याचिका 16 दिसंबर को खारिज कर दी गई. वहीं सूरज खवास और सुमित की जमानत याचिका 22 दिसंबर को निचली अदालत ने खारिज कर दी है.
एक आरोपी अब भी फरार
एसपी सिटी देहरादून प्रमोद कुमार ने बताया कि छात्र की मौत के बाद केस में हत्या की धारा जोड़ दी गई है. पांच आरोपी पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं और फरार आरोपी की तलाश जारी है. पुलिस का दावा है कि जल्द ही उसे भी पकड़ लिया जाएगा.
यह मामला सिर्फ एक छात्र की हत्या नहीं, बल्कि नस्लीय मानसिकता और पहचान के सवाल को भी सामने लाता है, जहां एक भारतीय छात्र को अपनी ही धरती पर यह कहना पड़ा कि 'मैं भारतीय हूं', और वही उसके आख़िरी शब्द बन गए.













