त्रिपुरा चुनाव "एक तमाशा में बदल गया": पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (CPI-M) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार (Manik Sarkar) ने शनिवार को कहा कि त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के परिणाम "अप्रत्याशित" थे और आरोप लगाया कि चुनावों को "तमाशा" में बदल दिया गया.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने कहा कि चुनाव को तमाशा में बदल गया. (फाइल फोटो)
अगरतला:

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (CPI-M) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने शनिवार को कहा कि त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के नतीजे "अप्रत्याशित" थे. साथ ही आरोप लगाया कि चुनावों को "तमाशा" में बदल दिया गया. न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, त्रिपुरा के पूर्व सीएम ने कहा, "यह अप्रत्याशित है,  क्योंकि सरकार का प्रदर्शन शून्य था, लोकतंत्र पर हमला किया गया और मतदाताओं के स्वतंत्र रूप से मताधिकार का प्रयोग करने का अधिकार छीन लिया गया और चुनावों को एक स्वांग में बदल दिया गया. 

उन्होंने कहा, "परिणाम कुछ अलग हैं. एक बात स्पष्ट है, 60 फीसदी मतदाताओं ने बीजेपी को वोट नहीं दिया. बीजेपी विरोधी वोट बंट गए. कई चीजें हुईं. लोग कहने लगे हैं कि बीजेपी को दोबारा सत्ता में लाने में किसने मदद की." यह बहुत स्पष्ट है, लेकिन मैं किसी पार्टी का नाम लेना पसंद नहीं करता.''

बता दें कि हाल ही में हुए त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूर्ण बहुमत हासिल कर सत्ता में वापसी की है. भारत के चुनाव आयोग के अनुसार, बीजेपी ने लगभग 39 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 32 सीटें जीतीं. टिपरा मोथा पार्टी 13 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर रही. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) को 11 सीटें मिलीं जबकि कांग्रेस को तीन सीटें मिलीं.  इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने एक सीट जीतकर अपना खाता खोलने में कामयाबी हासिल की.

भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए इस बार पूर्वोत्तर में सीपीआई (एम) और कांग्रेस, केरल में कट्टर प्रतिद्वंद्वी, एक साथ आए. माकपा और कांग्रेस का संयुक्त वोट शेयर लगभग 33 प्रतिशत रहा.भाजपा, जिसने 2018 से पहले त्रिपुरा में एक भी सीट नहीं जीती थी, आईपीएफटी के साथ गठबंधन में पिछले चुनाव में सत्ता में आई थी और 1978 से 35 वर्षों तक सीमावर्ती राज्य में सत्ता में रहे वाम मोर्चे को बेदखल कर दिया.

बीजेपी ने 55 सीटों पर और उसकी सहयोगी आईपीएफटी ने छह सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन दोनों सहयोगियों ने गोमती जिले के अम्पीनगर निर्वाचन क्षेत्र में अपने उम्मीदवार उतारे थे.लेफ्ट ने क्रमश: 47 और कांग्रेस ने 13 सीटों पर चुनाव लड़ा था. कुल 47 सीटों में से सीपीएम ने 43 सीटों पर चुनाव लड़ा जबकि फॉरवर्ड ब्लॉक, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) ने एक-एक सीट पर चुनाव लड़ा.
 

यह भी पढ़ें : 

Featured Video Of The Day
UP News: बेहतरीन English Speaking Skills पर फिर भी कोई Job नहीं, Homeless की तरह रहने पर मजबूर का दर्द
Topics mentioned in this article