Tripura Election 2023: बीजेपी के ट्रंप कार्ड हैं डिप्टी सीएम जिष्णु देव वर्मा, जानें खास बातें

कुल 60 विधानसभा सीटों बीजेपी 55 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि उसके सहयोगी इंडिजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने 5 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. त्रिपुरा में उपमुख्यमंत्री और कद्दावर नेता जिष्णु देव वर्मा (Jishnu Dev Varma) कई तरीकों से बीजेपी के तुरुप का इक्का हैं.

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अगरतला:

त्रिपुरा की सभी 60 विधानसभा सीटों के लिए 16 फरवरी को चुनाव (Tripura Election 2023) है. मेघालय और नगालैंड में 27 फरवरी को मतदान होगा. तीनों राज्यों के नतीजे 2 मार्च को घोषित किए जाएंगे. त्रिपुरा चुनाव में 2018 में ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी और राज्य में 25 साल तक शासन करने वाली माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है. 

कुल 60 विधानसभा सीटों बीजेपी 55 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि उसके सहयोगी इंडिजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने 5 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. त्रिपुरा में उपमुख्यमंत्री और कद्दावर नेता जिष्णु देव वर्मा (Jishnu Dev Varma) कई तरीकों से बीजेपी के तुरुप का इक्का हैं. जिष्णु देव वर्मा चारिलम निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं.

तत्कालीन त्रिपुरा शाही परिवार से आने वाले जिष्णु देव वर्मा ने 2018 में पहली बार सत्ता में आने से पहले ही भारतीय जनता पार्टी को वैधता दे दी थी. वह लंबे समय तक बीजेपी के वफादार रहे हैं. साल 2018 में जब बीजेपी जीती, तो जिष्णु देव वर्मा ने अपनी चारिलम विधानसभा सीट पर प्रतिद्वंद्वियों को चुनाव में सबसे बड़े अंतर 26580 वोट या कुल वोटिंग का 89.33 फीसदी से हराया.

जिष्णु देव वर्मा ने मार्च 2018 में त्रिपुरा के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला. बिप्लब कुमार देब ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. 65 वर्षीय राजनेता जिष्णु देव वर्मा शाही परिवार के वर्तमान प्रमुख प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मा के चाचा हैं. 

जिष्णु देव वर्मा ने लगभग पांच दशक पहले राजनीति में प्रवेश किया था. 1989 और 1993 के बीच वह उत्तर-पूर्वी परिषद सलाहकार समिति के सदस्य थे. भारतीय राष्ट्रीय कला और सांस्कृतिक विरासत परिषद (INTACH) के संयोजक भी थे. बीजेपी ने उनकी क्षमता को पहचानते हुए साल 1993 में अपनी राष्ट्रीय परिषद में त्रिपुरा के चेहरे के रूप में जिष्णु देव वर्मा को शामिल किया. बाद में उन्हें त्रिपुरा का प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव नामित किया गया.

उन्होंने 1996 में बीजेपी उम्मीदवार के रूप में पूर्वी त्रिपुरा आदिवासी-आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा. इसके बाद 1998 के त्रिपुरा विधानसभा चुनाव और 1999 के लोकसभा चुनाव भी लड़े. वे तीनों बार हार गए. हालांकि, उन्होंने 29 फीसदी वोट हासिल किए. वह तब ​​​​त्रिपुरा में भाजपा को मिले वोटों में सबसे अधिक था.

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जब बीजेपी ने 2015 से शुरू होने वाले अपने पूर्वोत्तर अभियान के हिस्से के रूप में त्रिपुरा पर ध्यान केंद्रित किया, तो उनकी वफादारी और प्रदर्शन को पुरस्कृत किया गया. जिष्णु देव वर्मा को अपनी कोर कमेटी के सदस्य के रूप में शामिल किया. हालांकि, बीजेपी ने बिप्लब कुमार देब को पार्टी के त्रिपुरा प्रमुख के रूप में नियुक्त किया था. जिष्णु देव वर्मा ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से बीए ऑनर्स की डिग्री ली है.

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