पूजा खेडकर क्या सच में दिव्यांग हैं? एम्स के पूर्व निदेशक ने बताया 2022 का वह किस्सा...

Puja Khedkar Disability Claim : पूजा खेडकर लगातार विवाद में हैं. अपने काम से तो वह विवादों में आईं हीं, अब उनपर जाली प्रमाण पत्रों के जरिए नौकरी पाने के भी आरोप हैं...जानें नया विवाद...

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
Puja Khedkar Disability Claim : पूजा खेडकर को लेकर एम्स के पूर्व निदेशक ने नए दावे किए हैं.
पुणे:

Puja Khedkar Disability Claim : ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए मानसिक और दृष्टि संबंधी विकलांगता के बारे में झूठ बोलने के दावों को लेकर जांच के दायरे में हैं. एक वरिष्ठ डॉक्टर और दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक ने एनडीटीवी को बताया कि उन्हें यूपीएससी ने मेडिकल जांच के लिए भेजा था, क्योंकि उनके दिव्यांग होने पर किसी को संदेह हुआ होगा. उनके ओबीसी या अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा का दावा करने पर भी सवाल हैं. 

छह बार एम्स ने बुलाया मगर...

एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा ने आज दोपहर कहा कि पूजा खेडकर को लोकोमोटर समस्याओं सहित कई दिव्यांगता के दावों की पुष्टि करने के लिए एम्स जाने का निर्देश दिया गया था. हालांकि, कई रिपोर्टों के अनुसार अप्रैल और अगस्त 2022 के बीच एम्स के छह अप्वाइंटमेंट्स पर पूजा खेडकर जांच कराने नहीं पहुंचीं. डॉ. एमसी मिश्रा ने एनडीटीवी को बताया, "इस तरह के दावे के परीक्षण के लिए एक बोर्ड का गठन किया जाता है और उम्मीदवार की जांच की जाती है. विकलांगता कई प्रकार की होती है... हम विकलांगता के प्रत्येक दावे के अनुपात का भी परीक्षण करते हैं."

प्रमाण पत्र पाना असंभव नहीं

डॉ. एमसी मिश्रा ने कहा, ''जब पूजा खेडकर ने दिव्यांग होने के कारण यूपीएससी में चयना का दावा किया था, तो यूपीएससी ने एम्स को उनकी दिव्यांगता परीक्षण करने के लिए कहा होगा." इससे यह स्पष्ट होता है कि कैसे पूजा खेडकर अपने दिव्यांग होने के दावा के निश्चित प्रमाण के बिना सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने में सफल रहीं? एमसी मिश्रा ने कहा कि दिव्यांग नहीं होने पर भी इसका प्रमाण पत्र प्राप्त करना किसी के लिए असंभव नहीं है. यह पाया जा सकता है."

Advertisement

औंध अस्पताल ने मना किया था

इससे पहले इस सप्ताह यह सामने आया था कि पूजा खेडकर ने अगस्त में संभवतः एम्स के छठे अप्वाइंटमेंट को नजरअंदाज करने के बाद पुणे के औंध अस्पताल से विकलांगता प्रमाण पत्र मांगा था, जिसने उन्हें अस्वीकार कर दिया था. उसने पूजा खेडकर को भेजे पत्र में कहा था कि "कृपया निम्नलिखित दिव्यांगता के लिए दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अपना दिनांक 23/08/2022 का आवेदन देखें: लोकोमोटर दिव्यांगता (जो सेरेब्रल पाल्सी या हड्डियों या मांसपेशियों को प्रभावित करने वाली स्थिति को संदर्भित कर सकता है और पैरों या बाहों की गति को प्रतिबंधित कर सकता है) को लेकर 11/10/2022 को अधोहस्ताक्षरी/मेडिकल बोर्ड द्वारा आपकी जांच की गई है और मुझे/हमें यह बताते हुए खेद है... आपके पक्ष में विकलांगता प्रमाणपत्र जारी करना संभव नहीं है." 

Advertisement

पिपरी अस्पताल से मिला प्रमाण पत्र

पूजा खेडकर को लिखे अस्पताल के पत्र की एक प्रति एनडीटीवी के पास उपलब्ध है. डॉ. मिश्रा के अनुसार, लोकोमोटर विकलांगता के दावों की जांच न्यूरोलॉजिस्ट और आर्थोपेडिक्स सहित अन्य विशेषज्ञों द्वारा की जाएगी, जिन्हें विकलांगता की सीमा के बारे में भी बताना होगा. औंध अस्पताल ने इसके लिए मना कर दिया, लेकिन पूजा खेडकर को पिपरी अस्पताल से एक प्रमाण पत्र मिला, जिसने उन्हें "बाएं घुटने की अस्थिरता के साथ पुराने एसीएल (एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट) फटने" का निदान किया.

Advertisement

मीडिया पर भड़कीं पूजा

पूजा खेडकर पर अपनी पोस्टिंग के दौरान विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करने का भी आरोप है. इसकी जांच सरकार द्वारा गठित एक सदस्यीय पैनल द्वारा की जा रही है और दोषी पाए जाने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा. उन्हें पहली बार पुणे जिले में सहायक कलेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया था. हालांकि, आरोप सामने आने के बाद उनका तबादला वाशिम कर दिया गया. सूत्रों ने कहा कि वह कल देर रात वाशिम में पुलिस के पास पहुंची और अपने आवास पर तीन महिला अधिकारियों के साथ दो घंटे तक बैठक की. चर्चा का विषय अभी पता नहीं चला है. पूजा खेडकर के माता-पिता भी अब मामलों में घिरे हुए हैं. विवाद होने पर पूजा ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था और जोर देकर कहा था कि सरकारी नियम उन्हें बयान देने से रोकते हैं. हालांकि, सोमवार को उन्होंने खुद ही नियम तोड़ दिया. उन्होंने अपने कार्यों को लेकर हो रहे "मीडिया ट्रायल" पर निशाना साधा.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Election Results: आखिर हर चुनाव में Rahul Gandhi क्यों हो जाते हैं फिसड्डी? आंकड़ों से समझिए