आस्था से ये कैसा खिलवाड़! तिरुपति के लड्डू में सूअर-बीफ की चर्बी, मछली का तेल! अब तक के टॉप अपडेट   

सूत्रों के अनुसार तिरुपति मंदिर के प्रसाद को तैयार करने जो घी इस्तेमाल किया जाता था वो उस कॉन्ट्रैक्टर से लिया जा रहा था, जो पहले से ही ब्लैकलिस्टेड है. सरकार अब इस दावे की भी जांच कर रही है.

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नई दिल्ली:

आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में प्रसाद तैयार करते समय बीफ का फैट और फिश ऑयल का इस्तेमाल किया जा रहा था. तिरुपति मंदिर के प्रसाद की जांच को लेकर जो रिपोर्ट आई है उसमें इसकी पुष्टि हुई है. आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कुछ दिन पहले आरोप लगाया था कि पिछली सरकार के समय तिरुपति मंदिर के प्रसाद को तैयार करते समय घी की जगह जानवरों की चर्बी का प्रयोग किया जाता था. उनके इन आरोपों को ध्यान में रखते हुए ही मंदिर से प्रसाद के सैंपल को जांच के लिए भेजा गया था. अब इस जांच की रिपोर्ट आ गई है. इसी रिपोर्ट में जानवरों के फैट के इस्तेमाल करने की बात निकल आई है. 

लड्डू भी घटिया सामान से बनाने का आरोप 

सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कुछ दिन पहले एनडीए के विधायक दल की बैठक के दौरान कहा था कि तिरुपति मंदिर में बनाए जाने वाले लड्डू की गुणवत्ता भी अच्छी नहीं है. इसे तैयार करने में भी जानवरों के फैट के इस्तेमाल की बात सामने आई है. हमे चाहिए की हम इसकी भी जांच कराएं. 

पूर्व सीएम ने किया था पलटवार 

सीएम नायडू के आरोपों का जवाब देते हुए जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP ने कहा है कि चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति मंदिर के प्रसाद को लेकर जो बयान दिया है वो बेहद घटिया है. कोई भी शख्स इस तरह के आरोप लगाने से पहले सोचेगा जरूर. उनके इस बयान से ये साबित हो गया हैकि नायडू राजनीति में कुछ भी कर गुजरने से पीछे नहीं हटेंगे. 

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23 जुलाई को मिली थी पहली शिकायत 

 मंदिर के प्रसाद (लड्डू) में गड़बड़ी की शिकायत 25 जुलाई को की गई थी. सरकार ने मामले की गंभीरता को समझते हुए मंदिर प्रशासन को प्रसाद की गुणवत्ता की जांच कराने को कहा था.इसके बाद ही प्रसाद की गुणवत्ता जांची गई. इसी जांच में खुलागा हुआ कि प्रसाद को तैयार करते समय में उसमें जानवरों के फैट का इस्तेमाल किया जा रहा है. एनडीए के घटक दलों के विधायकों का कहना था कि जिस घी से लड्डू तैयार किया जा रहा है उसमें ही गड़बड़ी है. इसके बाद ही इसकी जांच की गई है.  

CALF ने जारी की है चेतावनी

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (CALF) द्वारा किए गए विश्लेषण में एक चेतावनी भी दी गई है. इस चेतावनी में कहा गया है कि कुछ मौके पर ऐसी संभावना है कि गलत पॉजिटिव रिजल्ट भी आ सकें. यह रिपोर्ट कई तरह के कंडिशन पर निर्भर करती है. ऐसे में कई बार जांच के परिणाम भी गलत आ जाते हैं. रिपोर्ट में इस बात पर कुछ नहीं कहा गया है कि मिलावट जानबूझकर की गई थी या फिर खाने की परिस्थितियों और अन्य कारकों के कारण मिलावट हुई. नायडू के आरोप और एनडीडीबी की रिपोर्ट ने दुनिया भर के लाखों श्रद्धालुओं को चौंका दिया है क्योंकि तिरुपति के लड्डू का भावनात्मक महत्व बहुत अधिक है.

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जून में दिया गया आदेश 

टीडीपी सरकार ने जून में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जे श्यामला राव को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) का नया कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया था, जो मंदिर परिसर का प्रबंधन करता है. उपायों को सुव्यवस्थित करने के हिस्से के रूप में, लड्डुओं की कथित खराब गुणवत्ता, स्वाद और बनावट की जांच का आदेश दिया गया था.

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ब्लैक लिस्टेड कॉन्ट्रैक्टर से लिया गया था घी

टीटीडी सूत्रों ने बताया कि ब्लैक लिस्टेड कॉन्ट्रैक्टर से गाय का घी 320 रुपये प्रति किलो खरीदा गया था, जबकि तिरुपति ट्रस्ट अब कर्नाटक मिल्क फेडरेशन से 475 रुपये प्रति किलो की दर से घी खरीद रहा है. टीटीडी तिरुमाला में हर दिन करीब 3 लाख लड्डू तैयार करता है और भक्तों को बांटता है. हर साल ट्रस्ट को सिर्फ लड्डू की बिक्री से ही करीब 500 करोड़ रुपये की कमाई होती है. 

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