सुप्रीम कोर्ट के पूरे ढांचे को बदलने का वक्त आ गया, अटार्नी जनरल संविधान दिवस समारोह में बोले

चीफ जस्टिस ने कहा, एक संस्था को दूसरी संस्था के खिलाफ पेश करने या एक शाखा को दूसरे के खिलाफ रखने की उसकी शक्तियां केवल लोकतंत्र के लिए एक गलतफहमी पैदा करती हैं.यह लोकतंत्र की सेहत के लिए ठीक नहीं है.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
सुप्रीम कोर्ट के संविधान
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के संविधान दिवस समारोह में अटार्नी जनरल के के वेणुगापाल (Attorney General KK Venugapal) ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट के पूरे ढांचे को बदलने का वक्त आ गया है. अटार्नी जनरल ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने अपना  दायरा बढ़ा दिया है. यह सिर्फ एक संवैधानिक न्यायालय नहीं है. यह एक अदालत है जो सभी मामलों की सुनवाई करती है. सुप्रीम कोर्ट आपराधिक, जमीन, पारिवारिक मामले आदि की सुनवाई करता है. इसे कम किया जाए. एजी ने कहा, यह सभी मुद्दों पर विभिन्न हाईकोर्ट की अपील सुनता है. हाईकोर्ट  के फैसलों की वैधता की जांच करता है.तो यह सही मायने में संवैधानिक न्यायालय नहीं है. पीएम मोदी (PM Modi) ने भी इस कार्यक्रम को संबोधित किया.

जजों पर शारीरिक ही नहीं सोशल मीडिया के जरिये भी हो रहे हमले, संविधान दिवस पर बोले चीफ जस्टिस

सुप्रीम कोर्ट के संविधान दिवस समारोह में (Supreme Court Constitution Day Celebrations) भूमि नियंत्रण, संपत्ति, वैवाहिक आदि जैसे मामलों का कोई संवैधानिक मूल्य नहीं है. ट्रायल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट से एक आपराधिक मामले का फैसला आने में 30 साल लग जाते हैं. अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा, संवैधानिक मामलों की सुनवाई के लिए 5 जजों के साथ 3 संवैधानिक बेंच स्थायी रूप से स्थापित की जाएं. मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के पूरे ढांचे को बदलने का वक्त आ गया है.

"पहले लोकतंत्र मजबूत नहीं हुआ तो नरेंद्र मोदी कैसे बने पीएम", आनंद शर्मा ने साधा निशाना

वहीं प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना (Chief Justice NV Ramana) ने कहा कि सामान्य धारणा कि न्याय देना केवल न्यायपालिका का कार्य है. लेकिन यह सही नहीं है, यह तीनों अंगों पर निर्भर करता है. विधायिका और सरकारें (कार्यपालिका) की ओर से किसी भी तरह से इन बातों को नजरअंदाज से न्यायपालिका पर केवल अधिक बोझ पड़ेगा. कभी-कभी न्यायपालिका केवल कार्यपालिका को पुश करती है. लेकिन कार्यपालिका की भूमिका को हड़पती नहीं है.

एक संस्था को दूसरी संस्था के खिलाफ पेश करने या एक शाखा को दूसरे के खिलाफ रखने की उसकी शक्तियां केवल लोकतंत्र के लिए एक गलतफहमी पैदा करती हैं.यह लोकतंत्र की सेहत के लिए ठीक नहीं है.

वहीं कानून मंत्री कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, संविधान शक्तियों के बंटवारे का प्रावधान करता है. यह सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय के लिए तीन अंगों यानी कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच संबंध की भी परिकल्पना करता है. लिहाजा मौलिक अधिकारों पर मौलिक कर्तव्य को प्रधानता मिलनी चाहिए.

Featured Video Of The Day
Trump ने Hamas को मनाने के लिए Turkey President Erdogan को क्यों बनाया बिचौलिया? | Gaza Peace Plan