महाराष्ट्र के हजारों किसान अपनी मांगों की एक फेहरिस्त के साथ मुंबई की ओर मार्च कर रहे हैं. बुधवार को ड्रोन कैमरे ने इस विशाल मार्च के कुछ दृश्यों को उस समय कैद कर लिया जब यह विभिन्न इलाकों से होकर, घुमावदार सड़कों से गुजरते हुए आगे बढ़ रहा था. नासिक जिले के डिंडोरी से शुरू हुआ यह मार्च सीपीएम (CPM) के नेतृत्व में आयोजित किया गया है. यह मार्च मुंबई पहुंचने के लिए 200 किलोमीटर की दूरी तय करेगा.
आयोजकों ने कहा कि किसानों के अलावा, असंगठित क्षेत्र के कई कार्यकर्ता, जैसे आशा कार्यकर्ता और आदिवासी समुदायों के सदस्य मार्च में शामिल हैं.
प्याज के उचित दाम दिए जाने की मांग सहित और कई मांगों को लेकर हजारों की संख्या में महाराष्ट्र के किसान मुंबई की तरफ कूच कर रहे हैं. बुधवार को सरकार और किसानों के शिष्टमंडल के बीच होने वाली बैठक रद्द हो गई. किसानों का कहना है कि राज्य सरकार के प्रतिनिधियों को पैदल चल रहे किसानों से मिलकर बातचीत करनी चाहिए.
किसान लॉन्ग मार्च के तीसरे दिन हजारों किसानों ने कसारा घाट पार करके मुंबई की ओर अपनी पदयात्रा जारी रखी. किसानों के शिष्टमंडल और सरकार के बीच बुधवार को होने वाली बैठक में किसान नेताओं ने आने से मना कर दिया. उनका कहना है कि सरकार के नेताओं को किसानों के पास आकर बात करनी चाहिए.
पूर्व विधायक जीवा पांडू गावित ने एनडीटीवी से कहा कि, ''हमें कहा गया कि 15 तारीख को शाम तीन बजे आप सरकार के सामने हाजिर रहिए. हम कोई आरोपी नहीं हैं कि जब वे कहेंगे, तब हम जाएंगे और जब वे कहेंगे तब हम नहीं जाएंगे. पूरे महाराष्ट्र की नजर इस लॉन्ग मार्च पर है.''
किसानों की ओर से कुल 17 ऐसी मांगें हैं, जिसे लेकर वे मुंबई तक लॉन्ग मार्च कर रहे हैं. इनमें सबसे प्रमुख मांगों में प्याज, कपास, सोयाबीन, अरहर, मूंग, दूध और हिरदा का लाभकारी मूल्य दिया जाना, प्याज के लिए 2000 रुपये प्रति क्विंटल कीमत और निर्यात नीतियों में बदलाव के साथ-साथ 600 रुपये प्रति क्विंटल की तत्काल सब्सिडी की मांग शामिल है.
किसानों के इस लॉन्ग मार्च का समर्थन महाराष्ट्र के विपक्षके नेताओं ने किया है. इस मुद्दे पर बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य सरकार पर हमला किया. उद्धव ठाकरे ने कहा, ''जिसे हम अन्नदाता कहते हैं, इतनी दूर से उन्हें यहां आने की जरूरत पड़ रही है. यह शर्म की बात है. किसान यहां आ रहे हैं, आप कब मिलेंगे. इससे पहले जब ऐसा मोर्चा कुछ साल पहले निकला था, तब शिवसेना की ओर से आदित्य सहित कुछ लोग गए थे. उन्हें पानी सहित कुछ चाहिए था, हमने वो दिया था. किसान यहां आ रहे हैं, आपको वहां जाकर मिलना चाहिए था. मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री जनता के आदमी हैं.''
किसानों के शिष्टमंडल के मुंबई आकर सरकार से मुलाकात नहीं करने के ऐलान के बाद अब राज्य सरकार की ओर से एक शिष्टमंडल किसानों से मुलाकात करने जाएगा. उसकी कोशिश इस मामले का हल निकालने की होगी.
कैबिनेट मंत्री दादा भूसे ने कहा, ''किसानों के 14 मुद्दे हैं. मैं समझता हूं कि कानून के दायरे में रहकर जो कुछ किया जा सकता है, वह हम करेंगे.''
किसानों की ओर से जहां मुंबई की ओर लॉन्ग मार्च जारी है, वहीं अब सरकार डैमेज कंट्रोल करने के लिए अपने प्रतिनिधियों को किसानों से मिलने भेज रही है. किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं, उनका मार्च जारी रहेगा. ऐसे में यह देखना अहम होगा कि क्या सरकार वाकई किसानों के सारे मुद्दों का समाधान कर पाती है या फिर किसानों का यह मोर्चा इसी तरह जारी रहता है.