'वे हिंदुओं को हटाना चाहते हैं' : भाजपा ने बंगाल हिंसा पर तृणमूल पर किया हमला

सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि हिंदू वोट बैंक भाजपा की ओर जा रहे हैं और सीएम ममता सांप्रदायिक प्रचार कर और अल्पसंख्यकों को धमका कर उनका वोट ले रही हैं.

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'वे हिंदुओं को हटाना चाहते हैं' : भाजपा ने बंगाल हिंसा पर तृणमूल पर किया हमला
सुवेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस पर कई आरोप लगाए हैं.

मोमिनापुर हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुवेंदु अधिकारी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) कोलकाता के कुछ क्षेत्रों से हिंदुओं को हटाना चाहती है.

अधिकारी ने कहा कि टीएमसी मोमिनपुर, इकबालपुर और खिदिरपुर से हिंदुओं को हटाना चाहती है. यह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की वोट बैंक की राजनीति है. एएनआई से सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि हिंदू वोट बैंक भाजपा की ओर जा रहे हैं और सीएम ममता सांप्रदायिक प्रचार कर और अल्पसंख्यकों को धमका कर उनका वोट ले रही हैं.  

इससे पहले, अधिकारी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राज्यपाल ला गणेशन को पत्र लिखकर क्षेत्र में केंद्रीय बलों की तत्काल तैनाती की मांग की थी. पत्र में विपक्ष के नेता ने कहा कि लक्ष्मी पूजा की पूर्व संध्या पर कोलकाता के खिदिरपुर मोमिनपुर इलाके में हिंदू समुदाय पर हमले हुए हैं. उन्होंने कहा कि हिंसा में गुंडों और असामाजिक तत्वों ने हिंदुओं कई दुकानों और बाइकों में तोड़फोड़ की.

अधिकारी ने लिखा कि जून में हावड़ा जिले के उलुबेरिया इलाके में हुई हिंसा और इस हमले में समानता है. उस समय हिंसा पूरे बंगाल में फैल गई थी. खासकर नादिया और मुर्शिदाबाद जिलों में. इस बीच, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल पुलिस को मोमिनपुर घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करने का निर्देश दिया. जांच के बाद, एआईटी को अदालत में अपनी रिपोर्ट जमा करनी होगी.

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भी कोलकाता पुलिस आयुक्त को कदम उठाने का निर्देश दिया ताकि आगे कोई हिंसा न हो. रविवार को मिलाद-उन-नबी उत्सव के लिए क्षेत्र में लगाए गए धार्मिक झंडे के कथित रूप से फटने के बाद मोमिनपुर नें तनाव बढ़ गया और जल्द ही कई वाहनों व दुकानों में तोड़फोड़ के साथ हिंसक हो गया. रिपोर्टों में कहा गया कि बाद में रात के समय लोगों के एक समूह ने हिंसा के विरोध में इकबालपुर पुलिस स्टेशन को घेर लिया और उपद्रवियों की गिरफ्तारी की मांग की. घेराव में कुछ पुलिस वाले भी जख्मी हुए. इसके बाद से इस इलाके में दो दिनों के लिए धारा 144 लागू कर दी थी.  

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