हर महानगर में कुछ विशिष्ट गलियां बनें जो खानपान के लिए ही चिन्हित हों: योगी आदित्यनाथ

रविवार को यहां संगीत नाट्य अकादमी प्रदेश की संस्‍कृति विभाग की ओर से आयोजित 'संस्कृतियों का संगम' कार्यक्रम में प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे .

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हर महानगर में कुछ विशिष्ट गलियां बनें जो खानपान के लिए ही चिन्हित हों:  योगी आदित्यनाथ
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने रविवार को कहा कि भारत के अलग-अलग राज्यों के खानपान भले ही अलग-अलग हों, लेकिन इस खानपान के बाद जो स्वाद और ऊर्जा है वो एक जैसी होती है और हर महानगर के अंदर खान-पान की एक ऐसी गली बनाएं जहां लोगों को विभिन्न समाजों से जुड़े भोजन मिल सके. योगी आदित्यनाथ रविवार को यहां संगीत नाट्य अकादमी प्रदेश की संस्‍कृति विभाग की ओर से आयोजित 'संस्कृतियों का संगम' कार्यक्रम में प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे .

योगी ने कहा कि यह खान पान गली लोगों को विभिन्‍न राज्‍यों के खानपान और परिवेश से परिचित कराएगी, तथा लोग परिवार के साथ जाकर देख भी सकेंगे कि अगर उन्हें तमिलनाडु जाना है तो वहां खाने को क्या मिलेगा, पंजाब जाना है तो वहां क्या मिलेगा और केरल, उत्तराखंड जैसी जगहों पर जाएंगे तो क्या खाने को मिलेगा क्योंकि ये सभी खानपान विशिष्ट हैं. कार्यक्रम के दौरान खानपान के संगमम को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ऐसा प्रयास होना चाहिए कि कुछ विशिष्ट गलियां बनें जो खानपान के लिए ही चिन्हित हों और वो भी अलग-अलग परंपरा से जुड़े हों . यहां तमिल का खानपान भी हो, मलयालम का भी हो, तेलुगू भी हो, राजस्थानी भी हो, पंजाबी भी हो, सिंधी भी हो, उत्तराखंडी भी हो और उत्तराखंड में भी गढ़वाल का भी हो, कुमाऊं का भी हो, जौनसार का भी हो.''

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे ही उत्तर प्रदेश में भोजपुर, अवध, बुंदेलखंड और ब्रज का भी हो. ये सभी संस्कृतियां देश की ताकत हैं. इसके साथ जुड़ा हमारा इतिहास, हमारा गौरव और गौरव की अनुभूति किसी भी समाज को आगे बढ़ाने का कार्य करता है. इसे निरंतरता के साथ आगे बढ़ाने की भी आवश्यकता है. योगी ने कहा कि हम सब जानते हैं कि भारत की विशेषता है कि उसमें अनेकता है, खान पान, वेशभूषा, भाषा, इन सब में अनेकता है, लेकिन भाव और भंगिमा हम सबकी एक है. काशी-तमिल संगमम का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज की संस्कृति ही उसकी आत्मा है जो हम सबको एक सूत्र में पिरोती है.

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