'शुरुआती समस्याएं हैं, सुलझा ली जाएंगी': SC में केसों की लिस्टिंग को लेकर बोले CJI यू यू ललित

सीजेआई ने कहा कि ये बात सही है कि जजों के लिए आखिरी वक्त में केस लिस्ट होने से काम का बोझ बढ़ गया है. फिर भी मेरे भाई और बहन जजों ने मुस्कुराते हुए कर्तव्यों का निर्वहन किया है.

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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित ने केसों की लिस्टिंग को लेकर कहा कि जो रिपोर्ट किया गया है, वह सही स्थिति नहीं है. सभी जज एक ही पेज पर हैं, हां कुछ शुरुआती समस्याएं हैं, जिन्हें सुलझा लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि पिछले 13 दिनों में 16,000 मामले सूचीबद्ध किए गए और लगभग 5,200 का निपटारा किया गया. पिछले कुछ दिनों में मामलों का निपटारा मेरे साथी जजों के प्रयासों के कारण हुआ है.

सीजेआई ने कहा कि ये बात सही है कि जजों के लिए आखिरी वक्त में केस लिस्ट होने से काम का बोझ बढ़ गया है. फिर भी मेरे भाई और बहन जजों ने मुस्कुराते हुए कर्तव्यों का निर्वहन किया है. उन्होंने कहा कि जबकि सुप्रीम कोर्ट में 5200 केसों का निपटारा हुआ, इस अवधि में 1135 नए मामले ही दाखिल हुए थे.

देश के मुख्य न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए मामलों की लिस्टिंग की नई व्यवस्था को लेकर जजों के बीच किसी तरह के मतभेद से इंकार किया. अपने स्वागत में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के समारोह में बोलते हुए जस्टिस ललित ने कहा कि मामलों के निस्तारण में नई व्यवस्था अधिक कारगर साबित हो रही है.

CJI ललित सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित स्वागत समारोह में बोल रहे थे.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठता में तीसरे नंबर के जज जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओक ने एक केस में अपने आदेश में लिख दिया कि केसों की लिस्टिंग के नए तरीके से वो प्रभावी ढंग से सुनवाई नहीं कर पा रहे रहे हैं.

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओक की पीठ ने मंगलवार को यह आदेश ‘नागेश चौधरी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य' नामक मामले की सुनवाई 15 नवंबर तक के लिए स्थगित करते हुए पारित किया. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि नई लिस्टिंग प्रणाली मौजूदा मामले की तरह सुनवाई के लिए तय किए गए मामलों में फैसला लेने के लिए पर्याप्त समय नहीं दे रही है. क्योंकि दोपहर सत्र की अवधि में मुकदमों का अंबार लग जाता है.

सीजेआई ललित ने लिस्टिंग यानी सुनवाई के लिए मुकदमे सूचीबद्ध करने का नया सिस्टम लागू किया है. इसमें 30 जजों के लिए बनाई गई पीठें दो अलग-अलग शिफ्ट में सुनवाई करती हैं. सोमवार और शुक्रवार को वे नए दायर किए गए मामलों की सुनवाई के लिए 15 अलग-अलग पीठों में सुनवाई करते हैं. इनमें मुकदमों की संख्या प्रतिदिन औसतन 60 से अधिक है.

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वहीं, मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को ये जज सुबह के सत्र में (सुबह 10-30 बजे से दोपहर 1 बजे तक) तीन जजों की पीठ के रूप में कानून के महत्वपूर्ण प्रश्नों से जुड़े व पुराने मामलों की सुनवाई करते हैं. दोपहर बाद यानी भोजनावकाश के बाद वाली शिफ्ट में जजों की पीठों को 120 मिनट में 20 से  30 मामलों की सुनवाई करने की जिम्मेदारी दी गई है.

नए सिस्टम में औसतन एक मामले को निपटाने में चार से छह मिनट का समय ही मिल रहा है क्योंकि दो घंटे में 30 मुकदमे सुनने की संख्या पर जब कोर्ट में अंदर बाहर कुछ बातें हुईं और बातें बनीं तो सीजेआई ने मंगलवार से इन तीन दिनों में मुकदमों की संख्या घटाते हुए इन्हें 20 कर दिया. यानी अब 120 मिनट में 20 केस सुनने होते हैं. घंटा भर में दस यानी छह मिनट प्रति मुकदमा.

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इन दो जजों की पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई स्थगित करने से इनकार करते हुए कहा था कि उन्होंने देर शाम तक काम करके मामले की फाइल पढ़ ली है. वकीलों को यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि वे किसी और दिन इसे नए सिरे से पढ़ने के लिए फिर से समय देंगे.

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