"कोर्ट की तरह वकील के ऑफिस की भी गरिमा है", इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यौन शोषण के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा

प्राथमिकी में आरोप लगाए गए हैं कि उनकी 22 साल की बेटी एलएलबी की छात्रा है और आरोपी के साथ वकालत का अभ्यास कर रही थी. दोनों आरोपी उनकी बेटी को बहला फुसलाकर भगा ले गए. पुलिस ने मामले की प्राथमिक जांच और पीड़िता का बयान लेने के बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म) जोड़ी.

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"कोर्ट की तरह वकील के ऑफिस की भी गरिमा है", इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यौन शोषण के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा
इलाहाबाद हाईकोर्ट
प्रयागराज:

इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने एक वकील की जमानत अर्जी खारिज करते हुए गुरुवार को कहा कि इस मामले में पीड़िता, याचिकाकर्ता के कार्यालय में बतौर जूनियर कार्यरत थी. वकालत कर रहे और एक नेक पेशे में शामिल व्यक्ति के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए हैं. एक अधिवक्ता के कार्यालय का सम्मान, अदालत के सम्मान से कहीं कम नहीं होता.

न्यायमूर्ति समित गोपाल ने कहा, “दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और तथ्यों पर गौर करने के बाद यह साबित होता है कि याचिकाकर्ता प्राथमिकी में नामजद है और सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत पीड़िता के बयानों में भी उसका नाम शामिल है.”

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अदालत ने कहा, “ये आरोप यौन शोषण और मारपीट के हैं जो काफी लंबे समय तक जारी रहे. पीड़िता ने याचिकाकर्ता के खिलाफ अपने बयान में आपबीती बताई है. ऐसा कोई कारण नजर नहीं आता, जिससे लगे कि याचिकाकर्ता को झूठा फंसाया जा रहा है.” इस तरह से, अदालत ने उच्च न्यायालय के वकील राजकरण पटेल की जमानत अर्जी खारिज कर दी.

गौरतलब है कि 7 अप्रैल, 2021 को प्रयागराज जिले के सिविल लाइंस पुलिस थाना में पीड़िता की मां ने राजकरण पटेल और सिपाही लाल शुक्ला के खिलाफ आईपीसी की धारा 366 (अपहरण) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी, राजकरण और सिपाही लाल दोनों ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता हैं.

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प्राथमिकी में आरोप लगाए गए हैं कि उनकी 22 साल की बेटी एलएलबी की छात्रा है और राजकरण पटेल के साथ वकालत का अभ्यास कर रही थी. उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों आरोपी उनकी बेटी को बहला फुसलाकर भगा ले गए. पुलिस ने मामले की प्राथमिक जांच और पीड़िता का बयान लेने के बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म) जोड़ी.

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को इस मामले में झूठा फंसाया गया है. पीड़िता एक व्यस्क है और उसके बयान के मुताबिक वह एक वकील के साथ उच्च न्यायालय आया करती थी और उसके साथ काम कर रही थी. वह अपना बयान बदलती रही.

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हालांकि, राज्य सरकार के वकील ने जमानत की अर्जी का यह कहते हुए विरोध किया कि मौजूदा मामला ऐसा मामला है जिसमें एक अधिवक्ता ने अपने कार्यालय और अदालत में कानूनी प्रशिक्षण देने के बहाने विधि की छात्रा का शोषण किया है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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