आगरा में बैठी एक मां अब मंगलवार रात अपने बेटे से फोन पर की एक एक बात को याद कर कर के रो रही है, उसे क्या पता था कि यह आखिरी बार है जब वह अपने बेटे विंग कमांडर पीएस चौहान से बात कर रही है. कुछ ही घंटों में वह चल बसेगा और फिर कभी लौट कर नहीं आएगा. चौहान वायुसेना के उसी Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर के पायलट इन कमांड थे जो बुधवार दोपहर तमिलनाडु में नीलगिरि की पहाड़ियों में क्रैश हो गया था. इस हेलीकॉप्टर में सवार सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत सहित 13 की मौत हो गई.
यह हेलीकॉप्टर वेलिंगटन के लिए सुबह 11.45 बजे सुलूर में वायु सेना बेस से उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. चौहान अपने पीछे पत्नी, 12 साल की बेटी और नौ साल का बेटा छोड़ गए हैं.
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परिवार के सदस्यों ने कहा कि विंग कमांडर चौहान पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे, उनकी चार बड़ी बहनें हैं. मध्य प्रदेश के रीवा में सैनिक स्कूल से पढ़ाई करने के बाद, वह 2000 में वायु सेना में शामिल हुए थे. उनकी 2007 में शादी हुई थी.
अपने बेटे की मौत से हैरान सुरेंद्र सिंह चौहान कहते हैं कि उन्हें इस दुर्घटना के बारे में न्यूज रिपोर्ट्स से पता चला. अपने बेटे के बारे में वे बताते हैं कि "वह सभी से प्यार से बात करता था". चाचा यशपाल सिंह चौहान का कहना है कि चौहान की मौत के संबंध में उन्हें अभी तक कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिला है.
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वायुसेना अधिकारी की बहन मीना सिंह ने कहा कि वह इस साल राखी पर अपने भाई से आखिरी बार मिली थीं. नम आंखों से मीना ने बताया, "31 साल बाद, हम सभी इस साल राखी पर एक साथ थे. वे अपनी बहनों पर जान छिड़कते थे, हम उससे कुछ भी मांगते थे तो वह कुछ भी करके हमारी ख्वाहिश पूरी किया करता था."
जनरल रावत वेलिंगटन के डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज में फैकल्टी और छात्रों को संबोधित करने जा रहे थे, तभी यह हादसा हुआ. हेलीकॉप्टर 10 मिनट में लैंड करने वाला था, लेकिन अपनी लैंडिंग से 10 किलोमीटर पहले ही क्रैश हो गया.
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