पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में इस माह के अंत में विधानसभा चुनाव हैं, जहां कांग्रेस अपने अस्तित्व के बचाने की चुनौती का सामना कर रही है. एक समय पूर्वोत्तर में बड़ी ताकत रही कांग्रेस का इस समय त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय में महज एक मौजूदा विधायक है. इन चुनावी राज्यों मं कांग्रेस के एकमात्र विधायक त्रिपुरा में सुदीप राय बर्मन हैं. सुदीप 1998 के बाद से कभी चुनाव नहीं रहे. 2018 के चुनाव में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. हालांकि बाद में उन्होंने बीजेपी छोड़ दी और पूर्वोत्तर में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की कोशिश के तहत फिर इससे से जुड़ गए.
त्रिपुरा में कांग्रेस और माकपा ने चुनावी गठजोड़ किया है. माकपा जहां राज्य की 60 सीटों में से 47 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी वहीं कांग्रेस 13 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. NDTV से बात करते हुए सुदीप राय बर्मन ने कहा, "बीजेपी का सत्ता से जाना तय है. भाजपा के कुशासन और भ्रष्टाचार तथा 2018 में किए गए झूठे वादों के कारण बेहद असंतुष्ट और खफा हैं. मैंने बीजेपी छोड़ दी क्योंकि उसने कभी भी लोगों की आवाज को नहीं सुना. "सुदीप, त्रिपुरा के पूर्व सीएम समीर रंजन बर्मन के बेटे हैं और राज्य के दिग्गज नेताओं में से हैं. वे परंपरागत अगरतला सीट से चुनाव लड़ेगे. उन्होंने कहा, "बीजेपी केवल सरकारी कोषागार को लूटना जानती है. उन्होंने सत्ता हासिल की और सरकारी खजाने को लूटा लेकिन इस चुनाव में उन्हें इसका जवाब मिलेगा. बीजेपी एक सीट भी नहीं जीत पाएगी. पिछली बार कांग्रेस का पूरा वोट शेयर बीजेपी की ओर शिफ्ट हो गया था लेकिन अब स्थिति बदल गई है."60 सदस्यों वाली त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए एक ही चरण में 16 फरवरी को मतदान होगा.
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