" उद्धव ठाकरे गुट की अर्जी को खारिज किया जाए", महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे ने SC से की अपील 

सीएम एकनाथ शिंदे का कहना है कि 27 जून को यथास्थिति बहाल करने के लिए उद्धव खेमे द्वारा मांगी गई राहत नहीं दी जानी चाहिए.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट से की खास अपील
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है. इस जवाब में शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वो उद्धव ठाकरे गुट की उस अर्जी को खारिज करे. शिंदे का कहना है कि 27 जून को यथास्थिति बहाल करने के लिए उद्धव खेमे द्वारा मांगी गई राहत नहीं दी जानी चाहिए. ऐसा इसलिए भी क्योंकि उद्धव ठाकरे पहले ही CM पद से इस्तीफा दे चुके हैं. एकनाथ शिंद ने कोर्ट से आगे कहा कि यह याचिका ऐसे मुख्यमंत्री की तरफ से डाली गई है जिसने अपनी ही पार्टी का विश्वास को दिया है. ऐसें में लोकतांत्रिक तरीके से हुए पार्टी की भीतर के विभाजन के मुद्दे पर कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.

एकनाथ शिंदे ने कहा कि लोकतंत्र के संसदीय स्वरूप में, किसी भी कार्रवाई की वैधता/अवैधता का परीक्षण करने के लिए वो गुट  दबाव नहीं दे सकता जिसने खुद बहुमत को दिया हो. उन्होंने उद्धव ठाकरे गुट पर लोकतांत्रिक फैसलों को चुनौती देने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया है. साथ ही ये गुट महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर करना भी चाहता है. बता दें कि एकनाथ शिंदे के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में 3 अगस्त को अगली सुनवाई करेगा. 

बता दें कि इससे पहले उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट के सांसद शिवसेना के एकनाश शिंदे गुट द्वारा की गई नियुक्तियों को रद्द कराने की मांग कर रहे हैं. वह अपनी इस मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. उद्धव गुट के जिन सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था उनमें विनायक राउत और राजन विचारे शामिल थे. इन दोनों सांसदों ने लोकसभा में नेता और मुख्य व्हिप के पदों पर नियुक्तियों को रद्द करने की मांग की थी. दोनों सांसद की मांग थी कि लोकसभा में राहुल शेवाले की शिवसेना नेता के रूप में और भावना गवाली की बतौर मुख्य व्हिप के रूप में नियुक्त को रद्द किया जाए.

खास बात है कि ठाकरे गुट के सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष पर पार्टी विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया था. ठाकरे गुट के सांसदों का कहना था कि लोकसभा में शिवसेना के नेता के रूप में राहुल शेवाले और लोकसभा में शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में भावना गवली की नियुक्ति पार्टी विरोधी गतिविधियों के दोषी सांसदों के इशारे पर की गई थी. ऐसे में साफ लग रहा था कि लोकसभा अध्यक्ष ने प्राकृतिक न्याय के बुनियादी नियमों का भी पालन नहीं किया है. 

कुछ दिन पहले ही एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग को लिखा था कि उद्धव ठाकरे द्वारा नियुक्त शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी (National Executive) भंग कर दी गई है और उन्होंने एक नई कार्यकारिणी का गठन किया है. गौरतलब है कि, BJP की मदद से एकनाथ शिंदे ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ तख्तापलट का नेतृत्व किया था. उद्धव को सत्ता से बेदखल कर खुद महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बने थे.

एखनाथ शिंदे ने अपने पत्र में लिखा था कि नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन में शिवसेना के अधिकांश नेताओं ने हिस्सा लिया है. शिंदे जिस बहुमत का उल्लेख करते हैं, वह उनके नेतृत्व वाला बागी गुट है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
खतरे में भारतीय Students! किसने की भारत सरकार से सुरक्षा की मांग?
Topics mentioned in this article