थाइलैंड में कंपनी ने भारतीय को बनाया 'बंधक', परिजनों का आरोप- रिहा करने के मांगे 3 हजार डॉलर

शिकायतकर्ता ने इस मुद्दे को विदेश मंत्रालय और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के समक्ष भी उठाया है.

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पीड़ित आशीष दुबे (31) भी ठाणे का रहने वाला है और वह 12 सितंबर को थाईलैंड गया था.
ठाणे:

महाराष्ट्र के ठाणे शहर के एक व्यक्ति ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि उसके छोटे भाई को उसकी नियोक्ता कंपनी ने पिछले एक महीने से थाईलैंड में बंदी बनाकर रखा है और उसे मुक्त करने के लिए 3,000 डॉलर की मांग कर रही है. अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.

पीड़ित आशीष दुबे (31) भी ठाणे का रहने वाला है और वह 12 सितंबर को थाईलैंड गया था. आशीष के भाई ने कहा कि थाईलैंड जाने के बाद से कंपनी उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रही है.

उसने आरोप लगाया कि कंपनी एक तय लक्ष्य को पूरा करने के लिए पीड़ित को लोगों से संपर्क करने और उन्हें क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए राजी करने को मजबूर कर रही है. शिकायकर्ता ने कहा कि उसके भाई को अपने परिवार से संपर्क करने की अनुमति नहीं है.

अधिकारी ने बताया कि पीड़ित के बड़े भाई की शिकायत के आधार पर शहर के वागले एस्टेट खंड के श्रीनगर थाने में एक थाई नागरिक के खिलाफ धोखाधड़ी और रंगदारी का मामला दर्ज किया गया है.

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उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता ने इस मुद्दे को विदेश मंत्रालय और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के समक्ष भी उठाया है.

शिकायतकर्ता ठाणे में एक व्यक्ति के संपर्क में आया था, जिसने उसे थाईलैंड में नौकरी के कुछ अवसरों के बारे में बताया था.

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पुलिस ने शिकायत के हवाले से कहा, “शिकायतकर्ता अपने भाई के लिए नौकरी की तलाश कर रहा था. उसने व्यक्ति से इस संबंध में और जानकारी मांगी, जिसने बताया कि थाईलैंड की एक कंपनी में नौकरी उपलब्ध है और उसे प्रति माह 1,000 अमेरीकी डॉलर का वेतन मिलेगा.”

शिकायत के अनुसार, “पीड़ित का साक्षात्कार किया गया और बाद में कंपनी द्वारा उसे डिजिटल मार्केटिंग की नौकरी के लिए चुना गया. कंपनी ने पीड़ित को वीजा और हवाई यात्रा का टिकट भेजा. आशीष को मुंबई के एक व्यक्ति और चीन के एक अन्य व्यक्ति के साथ नौकरी मिली थी.”

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पुलिस अधिकारी ने शिकायत के हवाले से कहा, ‘आशीष ने 12 सितंबर को थाईलैंड के लिए उड़ान भरी और मुंबई के उस व्यक्ति के साथ वहां पहुंचने के बाद उसे एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया. दोनों को वादे के मुताबिक डिजिटल मार्केटिंग का काम भी नहीं दिया गया.'

शिकायत के मुताबिक, “आशीष को एक ऐसी कंपनी ने नौकरी पर रखा था, जो एक फर्जी कॉल सेंटर चलाती थी. वहां पीड़ित को महिलाओं के नाम पर फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाने के लिए कहा गया था.”

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शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने पीड़ित से लोगों को क्रिप्टोकरंसी खरीदने के लिए राजी करने और फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल का इस्तेमाल कर उन्हें धोखा देने के लिए भी कहा.

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शिकायतकर्ता ने दावा किया है पीड़ित को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया और कंपनी द्वारा दिए गए लक्ष्य को पूरा करने के लिए मजबूर किया गया.

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पुलिस अधिकारी ने शिकायत के हवाले से कहा कि कंपनी के सुरक्षाकर्मियों ने पीड़ित को अपने परिवार से संपर्क नहीं करने दिया और कंपनी में ही बंधक बना लिया.

अधिकारी के अनुसार, पीड़ित किसी तरह एक बार परिजनों से संपर्क करने में कामयाब रहा और उन्हें अपनी आपबीती सुनाई.

उन्होंने बताया कि आरोपी कंपनी ने पीड़ित को मुक्त करने के एवज में कथित तौर पर 3,000 अमेरीकी डॉलर की मांग की है. पुलिस ने शिकायत की जांच शुरू कर दी है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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