'प्रेम और अपनेपन से करें बात..': गुजरात चुनाव में बागी BJP नेताओं को लेकर अमित शाह का सुझाव

बताया जाता है कि अमित शाह ने राज्य नेतृत्व को कहा कि बागी लंबे समय से भाजपा परिवार से जुड़े हुए हैं, उनके साथ प्यार और करुणा के साथ व्यवहार करें.

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अमित शाह ने बागी बीजेपी नेताओं के लिए 'टेंडर लविंग केयर' का सुझाव दिया.
अहमदाबाद:

गुजरात विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर नेताओं के गुस्से वाले बयान और विरोध प्रदर्शनों से परेशान बीजेपी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सुझाए गए 'प्रेम और करुणा' के तरीके को अपनाया है और असंतुष्ट नेताओं के साथ आमने-सामने चर्चा करने की योजना बनाई है. सूत्रों ने इसकी जानकारी दी.

इससे एक दिन पहले गांधीनगर में पार्टी मुख्यालय 'कमलम' में कुछ सीटों पर टिकट को लेकर भाजपा के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया था. पार्टी ने अब तक 182 में से 160 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और इसमें 38 विधायकों का पहले ही टिकट काट दिया गया है. पार्टी के एक सूत्र ने कहा, 'असंतुष्ट लोगों से बात करने के लिए राज्य के नेताओं की एक टीम को काम दिया गया है.'

गुजरात में लगातार 27 सालों से सत्ता में काबिज बीजेपी ने पिछले कुछ दिनों में भी ये कोशिश शुरू की है, जिसे टीएलसी यानि 'टेंडर लविंग केयर' के रूप में जाना जाता है. राज्य के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने कम से कम चार बागियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी. अब जबकि अमित शाह गृह राज्य गुजरात में हैं, रविवार से उन्होंने सुलह योजना पर चर्चा करने के लिए राज्य के शीर्ष नेताओं के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की. सूत्रों ने बताया कि यह बैठक पांच घंटे तक चली.

बताया जाता है कि अमित शाह ने राज्य नेतृत्व को कहा कि बागी लंबे समय से भाजपा परिवार से जुड़े हुए हैं, उनके साथ प्यार और करुणा के साथ व्यवहार करें.

नाराज लोगों में से एक छह बार के विधायक मधुभाई श्रीवास्तव ने कल कहा था कि 20 साल पहले नरेंद्र मोदी और अमित शाह के आग्रह पर वह भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन इस बार वो एक निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ेंगे.

भाजपा को हिमाचल प्रदेश में भी अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ा है. 12 नवंबर को हुए मतदान में 68 में से 21 सीटों पर उनके बागी थे. यहां तक ​​कि पीएम मोदी की फोन पर अपील भी एक बागी को चुनाव में खड़े होने रोक नहीं पाई.

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एक शीर्ष नेता ने नाम नहीं छपने की शर्त पर कहा कि बीजेपी में इस तरह की नाराजगी कभी नहीं देखी गई और इससे तुरंत निपटने की जरूरत है.

गुजरात में 1 और 5 दिसंबर को मतदान होना है. पार्टी जाहिर तौर पर कोई चांस नहीं लेना चाहती, क्योंकि इस बार चुनाव तीनतरफा लड़ाई के रूप में सामने आ रही है.

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