टीम गहलोत बनाम टीम पायलट: क्या अशोक गहलोत ने 'राजस्थान संकट' का मंचन किया?

विधायकों ने एक प्रस्ताव पारित करते हुए कहा कि अशोक गहलोत की जगह लेने वाले नेता 2020 के विद्रोह का समर्थन करने वालों में से नहीं हो सकता.

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नई दिल्ली:

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी राजस्थान के एक वरिष्ठ विधायक ने आज शपथ ली कि वह रविवार को विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं थे, जिसमें 92 कांग्रेसी विधायकों ने सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी थी. विधायकों ने दो केंद्रीय पार्टी नेताओं, अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ बैठक में भाग लेने से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि वे अशोक गहलोत के प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट को राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे. मीटिंग के बजाय सभी विधायक अशोक गहलोत के करीबी मंत्री शांति धारीवाल के घर पर जमा हो गए.

सूत्रों का कहना है कि अशोक गहलोत ने इस विद्रोह में किसी भी भूमिका से इनकार किया है और मल्लिकार्जुन खड़गे से माफी भी मांगी है. राज्य मंत्री प्रताप सिंह कचरियावास ने उनका समर्थन किया है,

कचरियावास ने एनडीटीवी को बताया, "मैं शपथ लेता हूं कि अशोक गहलोत ने एक भी विधायक को विरोध करने के लिए को नहीं कहा." उन्होंने दावा किया कि विधायक कल रात विरोध प्रदर्शन के तौर पर नहीं बल्कि नवरात्रि उत्सव के कारण अपने गृहनगर के लिए रवाना हुए थे.

अशोक गहलोत की तरह कचरियावास ने भी अपने दावे को मजबूत करने के लिए सुबह मंदिर जाने का हवाला दिया. विधायक ने कहा, "एक दिन पहले तय किया गया था कि अशोक गहलोत भारत-पाकिस्तान सीमा के पास जैसलमेर में तनोट माता मंदिर जाएंगे. वहां कोई फोन रिसेप्शन नहीं है."

गहलोत ने कचरियावास और गोविंद सिंह डोटासरा के साथ एक विशेष उड़ान में जैसलमेर के लिए उड़ान भरी थी. कांग्रेस नेता ने कहा, "जब हम जयपुर लौटे तो गहलोत ने कहा कि राज्य मंत्री शांति धारीवाल को लेकर तुम जाओ, अजय माकन और खड़गे से मिलो और फिर मेरे घर आ जाओ."

सभी विधायकों को रविवार शाम सात बजे केंद्रीय कांग्रेस नेताओं के साथ मुख्यमंत्री आवास पर बैठक में शामिल होना था. लेकिन जब तक गहलोत अपनी तीर्थ यात्रा से लौटे, तब तक कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी, महेंद्र चौधरी और शांति धारीवाल ने विधायकों को एक अलग स्थान पर आमंत्रित किया.

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विधायकों ने एक प्रस्ताव पारित करते हुए कहा कि अशोक गहलोत की जगह लेने वाले नेता 2020 के विद्रोह का समर्थन करने वालों में से नहीं हो सकता. कचरियावास ने कहा, "विधायकों ने सोचा कि सभी से सलाह लिए बिना एक मुख्यमंत्री कैसे चुना जा सकता है. नए मुख्यमंत्री को 102 विधायकों में से चुना जाना चाहिए, जो 2020 के विद्रोह के दौरान गहलोत के साथ रहे, न कि सचिन पायलट के साथ थे."

प्रताप सिंह ने कहा, "लोकतंत्र में कोई भी फैसला संख्या पर आधारित होता है." उन्होंने कहा कि देश राहुल गांधी का नेतृत्व चाहता है, जिसमें गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष हों. विधायक संसदीय कार्य मंत्री के घर पर एकत्र हुए, कचरियावास ने कहा, "वहां से उन्हें मुख्यमंत्री के घर जाना था."

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कचरियावास ने कहा कि सचिन पायलट के साथ उनकी "व्यक्तिगत लड़ाई नहीं थी, लेकिन जो विधायक हमारे साथ थे और उस विद्रोह के माध्यम से हमारा समर्थन किया, क्या आपको उनकी बात नहीं सुननी चाहिए."

सचिन पायलट के पक्ष में 20 विधायकों में से एक केएल बैरवा ने किसी भी विद्रोह से इनकार करते हुए अशोक गहलोत की टीम का उपहास किया. बैरवा ने कहा, "सिस्टम यह है कि गहलोत को पद छोड़ देना चाहिए. किसी से भी पूछें, हम अपने आलाकमान के निर्णय का पालन करने के लिए तैयार हैं. कोई विश्वासघात नहीं हो सकता है, सब कुछ आलाकमान द्वारा तय किया जाएगा."

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