Ramdas Prini Shivanandan Case: मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) में पीएचडी कर रहे रामदास प्रिनी शिवानंदन को फिर से छात्र के रूप में बहाल करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दिया है. संस्थान ने रामदास पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों (Anti National Activities) में शामिल होने का आरोप लगाते हुए 18 अप्रैल 2024 को दो वर्षों के लिए निलंबित किया था. इससे पहले 7 मार्च 2024 को उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था. लेकिन, एक साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने रामदास के निलंबन को दो साल से घटाकर शुक्रवार तक कर दिया.
'जिसने किया शिक्षा से वंचित, उसी में फिर से बना छात्र'
12 मार्च को बॉम्बे हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद रामदास प्रिनी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. इसपर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पीएचडी स्कॉलर रामदास ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई के 366वें दिन, आज मैं आधिकारिक रूप से उसी संस्थान में एक बार फिर छात्र हूं, जिसने मुझे 380 दिन पहले शिक्षा से वंचित कर दिया था.' आगे लिखा, 'शिक्षा और रोजगार के लिए हमारा संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाएगा. हमारे साथ खड़े होकर एकता दिखाने वाले सभी साथियों को धन्यवाद.'
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किस मामले में हुआ था एक्शन?
दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति के खिलाफ आंदोलन में भाग लेने को लेकर रामदास प्रिनी शिवानंदन पर TISS ने आपत्ति जताई थी. इसके साथ ही, मुंबई कैंपस में छात्र अनुशासन उल्लंघन के आरोप में रामदास को दो साल के लिए निलंबित किया गया था. एक साल से चले आ रहे केस में सुप्रीम कोर्ट ने 366 दिन बाद फैसला सुनाया है और रामदास को एक बार फिर बतौर छात्र बहाल करने के आदेश दिए है.
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