- तमिलनाडु भगदड़ के लिए डीएमके ने अभिनेता से नेता बने विजय और उनके रैली आयोजकों को जिम्मेदार ठहराया है.
- डीएमके प्रवक्ता ने आयोजकों पर आरोप लगाते हुए कहा कि लोगों को तपती धूप में छह घंटे इंतजार करवाया गया.
- मुख्यमंत्री स्टालिन ने हादसे को चिंताजनक बताया और पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की.
तमिलनाडु के करूर जिले में टीवीके प्रमुख विजय की रैली में भगदड़ के दौरान 38 लोगों की मौत हो गई. डीएमके प्रवक्ता सरवनन अन्नादुराई ने हादसे को लेकर अभिनेता से नेता बने विजय और उनके रैली आयोजकों को जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि लोगों को तपती धूप में घंटों इंतजार करना पड़ा. उन्होंने कहा कि माता-पिता द्वारा अपने बच्चों को गोद में लिए जाने के दृश्य "बेहद परेशान करने वाले" हैं. मरने वालों में 10 बच्चे और 16 महिलाएं शामिल हैं.
डीएमके प्रवक्ता सरवनन अन्नादुराई ने कहा, "यह इस कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा सोची-समझी चाल है...उन्होंने (लोगों ने) लगभग छह घंटे तक इंतजार किया. वे सभी वहां मौजूद थे. उन्होंने (विजय और उनकी टीम ने) ऐसा क्यों किया? उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि भीड़ जुटाई जा सके. यह आयोजकों की घटिया चाल है और इसमें आपराधिक लापरवाही है."
डीएमके नेता ने जोर देकर कहा, "जो भी जिम्मेदार है, उसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए और विजय दोषी हैं. वे अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं."
सभी के दिलों को झकझोर दिया: सीएम स्टालिन
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि इस हादसे ने "हम सभी के दिलों को झकझोर दिया है". पीड़ित परिवारों को मुख्यमंत्री जन राहत कोष से 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने कहा, "हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अरुणा जगदीशन की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग का तुरंत गठन किया जाएगा जो पूरी जांच करेगा और सरकार को रिपोर्ट सौंपेगा."
विजय को पहुंचने में हुई छह घंटे की देरी
पुलिस सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि भगदड़ उस जगह पर भीड़ के गिरने से शुरू हुई जहां से बड़ी संख्या में लोग आगे बढ़ रहे थे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने अनुमान लगाया कि उस जगह पर "कम से कम 30,000 लोग जमा हुए थे", जहां विजय को नमक्कल में अपनी पिछली रैली के बाद भाषण देना था. हालांकि उनके पहुंचने में छह घंटे से ज्यादा की देरी हुई, तब तक भीड़ बेकाबू हो चुकी थी.
यह पहली बार नहीं है जब विजय की रैलियां जांच के घेरे में आई हैं.
इस महीने की शुरुआत में त्रिची में विजय की पहली रैली में भारी भीड़ उनके काफिले के साथ एयरपोर्ट से कार्यक्रम स्थल तक पहुंची थी, जिससे 20 मिनट की यात्रा छह घंटे के ट्रैफिक जाम में बदल गई थी, जिससे शहर थम सा गया.