तमिलनाडु सरकार फैक्ट्री एक्ट 1948 में किए गए संसोधन को जल्द वापस ले सकती है. सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार को इस बिल में संसोधन करके फैक्ट्री में काम करने के घंटों को 8 से बढ़ा कर 12 करने की वजह से खासा विरोध का सामना पड़ रहा है. बिल संसोधन को लेकर हो रहे विरोध को देखते हुए राज्य सरकार अब इसे वापस लेने की सोच रही है.
इस संसोधन को लेकर विपक्ष ने किया था वॉकआउट
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री एमके स्टालिन आज शाम अपने अन्य सहयोगी दलों से मुलाकात करे आगे की रणनीति पर बात करेंगे. शुक्रवार को विधेयक को चर्चा के लिए विधानसभा में पेश किया गया था. इसके बाद इसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया था. बता दें कि विभिन्न विपक्षी दलों के विधायकों ने इसे "मजदूर विरोधी" अधिनियम बताते हुए सदन से वॉकआउट किया था. इन विपक्षी पार्टियों में कांग्रेस और सीपीआई (एम) मुख्य रूप से शामिल हैं, ने इस बिल को लेकर कहा था कि इसके पास होने के बाद फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों का और अधिक शोषण होगा.
कर्मचारियों के अधिकारों पर हमला करने जैसा
सीपीआई (एम) के विधायक वी पी नगईमाली ने कहा कि अधिनियम कॉरपोरेट्स का पक्ष लेगा, जबकि सीपीआई विधायक टी रामचंद्रन ने दावा किया कि यदि इस एक्ट को वर्तमान रूप में लागू किया जाता है, तो यह कर्मचारियों के अधिकारों पर हमला करने जैसा होगा.
तीन की छुट्टी के लिए मिलेंगे पैसे
हालांकि, उद्योग मंत्री थंगम थेनारासु ने आश्वासन दिया कि कर्मचारियों के लिए सप्ताह में कुल काम के घंटे अपरिवर्तित रहेंगे. जिनके पास अब सप्ताह में चार दिन काम करने और तीन दिन की छुट्टी लेने का विकल्प होगा. इसके अलावा तीन दिनों के लिए छुट्टी के लिए पैसे दिए जाएंगे साथ ही साथ छुट्टी, ओवरटाइम, वेतन आदि पर मौजूदा नियम अपरिवर्तित रहेंगे. श्रम कल्याण मंत्री सी वी गणेशन ने कहा था कि सरकार जांच के बाद ही विधेयक को लागू करेगी. उन्होंने आगे कहा था कि संशोधन के अनुसार, छूट चाहने वाली फैक्ट्रियों को काम के घंटे बढ़ाने के लिए कर्मचारियों की सहमति लेनी चाहिए और इससे कर्मचारियों की सेहत प्रभावित नहीं होनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में RSS रूट मार्च की इजाजत दी