तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखा है, जिसमें मुख्यमंत्री ने राज्यपाल आरएन रवि के खिलाफ शिकायत की है. इस बारे में राज्य सरकार ने एक बयान के जरिए जानकारी दी है. स्टालिन ने उनके द्वारा उल्लंघनों की एक कथित सूची राष्ट्रपति को भेजी है. साथ ही लिखा है कि आरएन रवि को राज्यपाल के पद से हटाया जाना चाहिए. इसके साथ ही स्टालिन ने लिखा है कि राज्यपाल ने प्रदेश के लोगों, हितों और संविधान के खिलाफ कार्य किया है और अपने पद की शपथ का उल्लंघन किया है.
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा कि इन उल्लंघनों में गिरफ्तार मंत्री सेंथिल बालाजी को बर्खास्त करने और फिर इस फैसले को कुछ घंटों में स्थगित करने की राज्यपाल की कार्रवाई भी शामिल है. उन्होंने बताया कि मंत्री की नियुक्ति पर निर्णय लेना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है, न कि राज्यपाल का.
उन्होंने पत्र में लिखा कि राज्यपाल विपक्ष शासित राज्य सरकार को गिराने का अवसर तलाश रहे हैं, राज्यपाल को केवल "केंद्र के एजेंट" के रूप में देखा जाएगा.
उन्होंने यह निर्णय राष्ट्रपति पर छोड़ दिया है कि आरएन रवि का राज्यपाल के रूप में बने रहना "स्वीकार्य और उचित" है या नहीं.
स्टालिन ने राज्यपाल पर सत्तारूढ़ द्रमुक के साथ "राजनीतिक युद्ध" करने का आरोप लगाया और कहा कि आरएन रवि राज्य सरकार की नीति के खिलाफ काम करते हैं और सदन द्वारा पारित विधेयकों पर सहमति देने में देरी करके विधायिका के काम में बाधा डालते हैं. मुख्यमंत्री ने लिखा कि उनके द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण देने के बाद भी ऐसा होता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आरएन रवि AIDMK के पूर्व मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की अनुमति में भी अनावश्यक देरी करते हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यपाल विभाजनकारी हैं और धर्मनिरपेक्षता में उनका विश्वास नहीं है. वह धर्म पर व्यक्तिगत विचार व्यक्त करते हैं और हिंदू धर्म का महिमामंडन करते हैं. तमिल संस्कृति को छोटा बताते और बदनाम करते हैं और लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं. मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि राज्य का नाम बदलने का उनका सुझाव तमिलनाडु के प्रति उनकी नफरत को दर्शाता है. स्टालिन ने आरोप लगाया कि आरएन रवि भारतीय संविधान का भी अपमान करते हैं.
साथ ही उन्होंने कहा कि आरएन रवि ने विधानसभा में अपने आधिकारिक भाषण में पेरियार, बीआर अंबेडकर, कामराज, अन्ना और कलैगनार का नाम छोड़कर भारत का अपमान किया है. उन्होंने भाषण में सामाजिक न्याय, समानता और द्रविड़ मॉडल शासन व्यवस्था के संदर्भों को भी छोड़ दिया.
उन्होंने आरोप लगाया कि आरएन रवि ने राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान नागालैंड में निर्वाचित सरकार में भी हस्तक्षेप किया था.
इस मामले को लेकर अभी तक राजभवन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
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