स्वाभिमान अपार्टमेंट्स: क्या ‘जहां झुग्गी, वहां मकान’ योजना ज़मीनी हकीकत पर खरी उतरी?

रिहायशी टावरों में लिफ्टें अक्सर खराब पड़ी रहती हैं, जिससे बुज़ुर्ग और महिलाएं खासा परेशान हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक, आरडब्ल्यूए का गठन नहीं होने के चलते मेंटेनेंस की जिम्मेदारी कोई नहीं ले रहा है, ऐसे में फ्लैट्स में रहना मुश्किल होता जा रहा है.

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नई दिल्ली:

जनवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के अशोक विहार में बने स्वाभिमान अपार्टमेंट्स का लोकार्पण किया था. 'जहां झुग्गी, वहां मकान' योजना के तहत बनाए गए इन फ्लैट्स को झुग्गीवासियों के लिए एक नई शुरुआत और बेहतर जीवन की उम्मीद के तौर पर देखा गया था. लेकिन महज़ पांच महीने बाद ही इन फ्लैट्स की हालत चिंता का विषय बन गई है.

कूड़े के ढेर, गंदगी और साफ़ पानी की कमी
स्वाभिमान अपार्टमेंट्स में रह रहे लोगों का कहना है कि यहां साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है और यहां रहे लोग भी गंदगी फैला रहे हैं. बिल्डिंगों के आसपास कूड़े के ढेर लगे हैं, नालियां जाम हैं और पीने के लिए साफ़ पानी तक उपलब्ध नहीं है. कई इलाकों में लोग खुद सफाई करने को मजबूर हैं.

लिफ्टें ख़राब, मेंटेनेंस की कोई व्यवस्था नहीं

रिहायशी टावरों में लिफ्टें अक्सर खराब पड़ी रहती हैं, जिससे बुज़ुर्ग और महिलाएं खासा परेशान हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक, आरडब्ल्यूए का गठन नहीं होने के चलते मेंटेनेंस की जिम्मेदारी कोई नहीं ले रहा है, ऐसे में फ्लैट्स में रहना मुश्किल होता जा रहा है.

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सपनों का घर' या ‘नई झुग्गी'?

‘जहां झुग्गी, वहां मकान' योजना की सोच कितनी भी अच्छी हो, लेकिन अगर सरकार बुनियादी सुविधाओं की जिम्मेदारी नहीं लेंगी और रिहायशी साफ़ सफ़ाई का ध्यान नहीं रखेंगे तो ये फ्लैट्स भी एक नई झुग्गी में तब्दील हो सकते हैं. अब तक इस स्थिति को लेकर दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
‘जहां झुग्गी, वहां मकान' एक सराहनीय पहल है, लेकिन अगर ज़मीनी स्तर पर व्यवस्थाएं न सुधारी जाएं, तो सपनों का घर भी कुछ ही महीनों में ख्वाब बनकर रह जाएगा.

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शुभांग सिंह ठाकुर की रिपोर्ट

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