नई दिल्ली/इम्फाल: मणिपुर में हिंसा के बाद शांति बहाल करने की तमाम कोशिशें जारी है. स्थानीय प्रशासन और सेना के अधिकारी लोगों को समझाने में लगे हुए हैं. इधर, आज सुत्रों के हवाले से यह खबर आई है कि राज्य के 5 जगहों पर सेना के जवान और संदिग्ध उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ हुई है. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने आज संवाददाताओं से कहा कि उन्हें रिपोर्ट मिली है कि "40 आतंकवादी" मारे गए हैं.
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा, "आंतकी के नागरिकों के खिलाफ एम -16 और एके -47 असॉल्ट राइफलों और स्नाइपर गन का इस्तेमाल कर रहे हैं. वे कई गांवों में घरों को जलाने के लिए आए थे. हमने सेना और अन्य सुरक्षा बलों की मदद से उनके खिलाफ बहुत कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है. हमें खबर मिली है कि करीब 40 आतंकवादी मारे गए हैं."
उन्होंने कहा, "आंतकी के निहत्थे नागरिकों पर गोलियां चला रहे हैं. ये मणिपुर को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं और केंद्र सरकार की मदद से राज्य सरकार उनपर कार्रवाई कर रही है.
सूत्रों ने NDTV को बताया कि मणिपुर पुलिस के कमांडो आज राज्य के जातीय हिंसा से प्रभावित इलाकों में आठ घंटे से अधिक समय तक संदिग्ध उग्रवादियों से उलझे रहे. संदिग्ध उग्रवादियों ने आज इंफाल घाटी और उसके आसपास के 5 इलाकों में एक साथ हमला किया. ये क्षेत्र हैं सेकमाई, सुगनू, कुम्बी, फायेंग और सेरौ. कई और इलाकों में गोलीबारी और सड़कों पर लावारिस लाशें पड़े होने की खबरें आ रही है.
सूत्रों ने बताया कि सेकमाई में मुठभेड़ खत्म हो गई है. राज्य की राजधानी इंफाल में रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के डॉक्टरों ने आज फोन पर NDTV को बताया कि फायेंग में हुई मुठभेड़ में 10 लोग घायल हुए हैं. खुमानथेम कैनेडी में एक किसान के घयाल होने की खबर है. सूत्रों ने कहा कि उनके शव को रिम्स ले जाया जा रहा है, और लोगों के हताहत होने की आशंका है
गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं. मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और ये ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी - नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.
मणिपुर में हुए इस जातीय संघर्ष में 70 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी और पूर्वोत्तर राज्य में सामान्य स्थिति की बहाली के लिए लगभग 10,000 सैन्य और अर्ध-सैन्य कर्मियों को तैनात करना पड़ा था.