दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण (Delhi-NCR Pollution) मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. साथ ही अदालत ने कहा कि सरकारी एजेंसियों और दिल्ली पुलिस के बीच समन्वय की कमी है. साथ ही अदालत ने कहा कि दिल्ली में फिल्हाल ग्रैप-4 जारी रहेगा. इस मामले में अब 5 दिसंबर को सुनवाई होगी. साथ ही सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर मनन वर्मा ने कोर्ट को बताया कि भेल के वरिष्ठ अधिकारी के निर्माणाधीन घर के बारे में रिपोर्ट तैयार करने के दौरान उन्हें धमकियां दी गईं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट में बहुत ही चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं. दिल्ली सरकार, एमसीडी, डीपीसीसी, सीएक्यूएम और अन्य अधिकारियों के बीच समन्वय की पूरी तरह से कमी है. साथ ही कहा कि समन्वय सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी आयोग पर है. इसलिए ग्रैप-4 को लागू करने के लिए समन्वय हो.
दिल्ली में फिलहाल ग्रैप-4 लाग है और कोर्ट पांच दिसंबर को इस मामले पर सुनवाई करेगा. उस दिन वायु गुणवत्ता स्तर की पड़ताल की जाएगी. ग्रैप-4 के प्रावधानों में रियायत पर भी उसी दिन बात होगी. दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार, नगर निगम के साथ आयोग तालमेल कर उपाय और उन पर अमल करने के तौर तरीके निर्धारित करेगा.
सशस्त्र पुलिसकर्मी मुहैया कराने के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने बाबा हरिदास नगर के एसएचओ से भी रिपोर्ट मांगी. साथ ही कोर्ट कमिश्नरों को सशस्त्र पुलिसकर्मी मुहैया कराने के आदेश दिए हैं. साथ ही कहा कि उनकी गतिविधियों की जानकारी रिपोर्ट ना हो. साथ ही एसएचओ बलराम सिंह को अदालत में पेश होने के लिए कहा.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ लोग कोर्ट कमिश्नरों की आवाजाही के बारे में व्हाट्सएप पर संवाद कर रहे हैं. इस पर दिल्ली पुलिस तत्काल कार्रवाई करे. हम बार को जोखिम में नहीं डाल सकते हैं. इसलिए हम उन्हें जोखिम उठाने का विकल्प देते हैं, वे सशस्त्र सुरक्षा के लिए दिल्ली के नोडल अधिकारी को ईमेल भेज सकते हैं. सशस्त्र गार्डों को निर्देश दिए जाएं कि वे कमिश्नरों की आवाजाही के बारे में संवाद नहीं करेंगे.
साथ ही अदालत ने कहा कि हम यह स्पष्ट करते हैं कि बार के सदस्य जो कोर्ट कमिश्नर हैं, उन्हें पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करना दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी है. हम आयोग को रिपोर्ट देखने और चूक और गैर-अनुपालन पर कार्रवाई करने के लिए एक टीम नियुक्त करने का निर्देश देते हैं. अगली सुनवाई की तारीख पर हम कोर्ट कमिश्नरों के पारिश्रमिक पर विचार करेंगे.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि स्थायी समाधान निकाला जाए. विशेषज्ञ एक नोट तैयार करें और हम इस मुद्दे के लिए तारीखें निर्धारित कर सकेंगे.
ग्रैप-4 पॉलिसी मैटर नहीं, इमरजेंसी उपाय : SC
सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से कहा है कि पुलिस ने क्या FIR दर्ज की है और कर कानूनी कार्रवाई की है. कोर्ट कमिश्नर ने कहा कि डीपीसीसी हमारी मदद कर रही है, लेकिन सीमित कार्रवाई कर रही है. पॉश कॉलोनियों में अवैध निर्माण के बारे में उन्होंने कहा कि 500 वर्गमीटर से कम के प्लॉट पर उनका अधिकार क्षेत्र नहीं है. एमसीडी का है. कोई समन्वय नहीं है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शायद ही कोई क्रियान्वयन हो.
SC ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management) को कहा कि हमें ये चिंता है कि 27 नवंबर को AQI 303 आया, लेकिन 28,29,30 नवंबर को AQI फिर से बढ़ गया. CAQM की ओर से ASG ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि ये ट्रेंड जनवरी तक चलता रहेगा. जस्टिस ओक ने कहा कि आज हम किसी भी मौजूदा ढील की अनुमति नहीं देंगे. जब तक आप हमें नीचे की ओर रुझान नहीं दिखाते, हम ऐसा कैसे कर सकते हैं? CAQM ने कहा कि ग्रैप 4 पॉलिसी मैटर नहीं है. ये इमरजेंसी उपाय है.
मनन वर्मा ने अपनी रिपोर्ट के बारे से कोर्ट को अवगत कराया. उन्होंने कहा कि मेदांता और अपोलो जैसे अस्पतालों के विशेषज्ञों ने भी आशंका जताई है कि मौजूद स्थिति से जल्दी ही दिल्ली वालों के फेफड़े खराब होने की महामारी से ग्रस्त हो जाएंगे. पुलिस वालों के बारे में मनन वर्मा ने कहा कि हरियाणा में तो ट्रकों की बेरोकटोक आवाजाही की सूचना जब स्थानीय एसएचओ को दी गई तो उन्होंने कहा कि हमारे पास ऐसा कोई निर्देश नहीं आया है. वो हमसे ही बहस करने लगे. झड़ौदा कलां में तो टीम ने खेतों में पराली जलती हुई भी देखी. पुलिस से पूछा कि किसका खेत है तो पुलिस को इसकी भी कोई जानकारी नहीं थी.
दिल्ली-एनसीआर के राज्यों को लगाई फटकार
जस्टिस ओक ने पूछा कि कितने अधिकारी दिल्ली के एंट्री पॉइंट्स पर तैनात किए गए हैं? दिल्ली सरकार के वकील शादान फरासत ने कहा कि हमने ट्रांसपोर्ट और रेवेन्यू विभाग के अधिकारी लगा रखे हैं पर सटीक संख्या नहीं बता सकते. हमारे पास उनके ड्यूटी चार्ट है. कोर्ट ने कहा कि उनका कोई सुपरवाइजर है? कौन सुपरवाइज कर रहा है? कोर्ट ने पूछा की वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग क्या कर रहा है? याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि ग्रेप 4 लगाने के बावजूद उसके बुनियादी उपायों को नजर अंदाज किया गया है. उन पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी है.
दिल्ली/NCR में ग्रेप 4 के चलते कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी पर रोक के चलते बेकार बैठे कंस्ट्रक्शन वर्कर्स को भत्ता देने के मामले के लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सहित NCR के राज्यों को फटकार लगाई. कोर्ट के आदेश के बावजूद किसी राज्य ने कंस्ट्रक्शन वर्कर्स को भत्ता नहीं दिया है. कोर्ट ने दिल्ली और NCR राज्यों में मुख्य सचिवों को अगली सुनवाई के दौरान गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित रहने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा अनुभव है कि जब हम टॉप अफसरों को बुलाते हैं तो बॉल रोल होना शुरू होती है. कोर्ट ने कहा कि NCR राज्यों के चीफ सेकेट्ररी 5 दिसंबर को VC के जरिए पेश हों. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि कम से कम एक राज्य यह दिखाएगा कि उसने काफी संख्या में मजदूरों को भुगतान किया है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. मुख्य सचिवों को गुरुवार को दोपहर 3 बजे पेश होना है. राज्य हलफनामा दाखिल कर सकते हैं, लेकिन हम यह स्पष्ट करते हैं कि हम दोषी अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई कर सकते हैं.