सुप्रीम कोर्ट की धमकी के बाद झुका केंद्र, कुछ और महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने को तैयार

सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने चेतावनी दी, 'हम सेना को अवमानना का दोषी ठहराएंगे. सेना अपने क्षेत्र में सुप्रीम हो सकती है लेकिन संवैधानिक कोर्ट अपने क्षेत्राधिकार में सुप्रीम है.'

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सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद सेना ने पिछले महीने 39 महिलाओं को परमानेंट कमीशन दिया था

नई दिल्‍ली:

सेना में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)की अवमानना का केस चलाने की धमकी के बाद केंद्र सरकार के रुख में नरमी आ गई गई है.  केंद्र सरकार, एक हफ्ते के भीतर कुछ और महिला अफसरों (permanent commission to women army officers) को PC देने को तैयार हो गई है. केंद्र ने इसके लिए दो बजे तक का समय मांगा है.सुप्रीम कोर्ट मामले पर दो बजे सुनवाई करेगा.सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने चेतावनी दी, 'हम सेना को अवमानना का दोषी ठहराएंगे.सेना अपने क्षेत्र में सुप्रीम हो सकती है लेकिन संवैधानिक कोर्ट अपने क्षेत्राधिकार में सुप्रीम है.'

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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस ए एस बोपन्ना की बेंच ने यह सुनवाई की.सेना की 32 महिला अफसरों की अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में  सुनवाई हुई . इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद सेना ने पिछले महीने 22अक्टूबर को 39 महिलाओं को परमानेंट कमीशन दे दिया था. 71 में से केवल  39  महिलाओं को स्थायी कमीशन देने के लायक समझा गया.सेना की ओर से कोर्ट में कहा गया कि जिन 72 महिलाओं ने स्थाई कमीशन के लिये अवमानना याचिका दाखिल की है, उनमें से एक महिला अफसर ने सर्विस से रिलीज करने की अर्जी दी है.बची 71 महिलाओं में से सेना ने सात को परमानेंट कमीशन के लिये मेडिकली अनफिट पाया.हालांकि इन महिलाओं का मानना है कि सेना गलत कह रही है कि वो स्थाई कमीशन के लिये फिट नहीं हैं.

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सेना ने अभी तक इस बात का खुलासा नही किया है कि 32 में से कौन सात महिलाएं है जो मेडिकली अनफिट हैं, वही 25 महिला अफसरों के बारे में सेना ने कोर्ट में बताया उनके खिलाफ अनुशासनहीन का गंभीर मामला बनता है. अब सेना को लिखित हलफनामा देकर बताना होगा कि आखिर वह 25 महिला अफसरों को क्यों परमानेंट कमीशन नहीं दे रही है ? इससे पहले कोर्ट ने साफ तौर पर कहा था कि सेना को अपना हलफनामा देते यह भी देखना होगा कि वह 25 मार्च 2021 को कोर्ट के परमानेंट कमीशन देने को लेकर जो फैसला सुनाया था वह इसके दायरे में ही आता है ना ?  उस दिन कोर्ट ने कहा था कि जिन महिलाओं के स्पेशल सेलेक्शन बोर्ड में 60 फीसदी कट ऑफ ग्रेड मिले है और जिनके खिलाफ डिसिप्लिन और विजिलेंस मामले नही है उन सारे महिला अधिकारियों को सेना परमानेंट कमीशन दे.जिन महिलाओं को सेना ने परमानेंट कमीशन नही दिया है, उनका कहना है कि सेना ने महिलाओं को अपनी मर्जी से कुछ भी नही दिया है.सब कुछ उनको कोर्ट में लड़ कर लेना पड़ा है. जब  दिल्ली हाई कोर्ट ने 2010 में सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने का आदेश दिया तो इस आदेश को वायु सेना और नौसेना ने मान लिया पर थल सेना इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई.

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फिर 17 फरवरी 2020 और  25 मार्च 20 21 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें महिलाओं को परमानेंट कमीशन देना पड़ा था. इसी तरह पहले इन 72 महिलाओं को भी स्थाई कमीशन देने से मना किया फिर कोर्ट के दखल के बाद 39 को कमीशन देना ही पड़ा.बाकी बचे महिलाओं को भी सेना को स्थाई कमीशन देना ही पड़ेगा. सेना में वैसे तो अभी 1500  के करीब महिला अफसर है  पुरुष अफसरों  की तादाद 48,000 के आसपास है.पुरुष अधिकारियों की तुलना में यह संख्या करीब तीन फीसदी ही है अब सेना की इन 32 महिला अफसरों की उम्मीद है एक बार फिर से सर्वोच्च न्यायालय पर ही  टिकी है कि वही इनको सेना में स्थाई कमीशन दिला सकती है. 

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