राजद्रोह कानून मामले में सुप्रीम कोर्ट 27 जुलाई को सुनवाई करेगा (प्रतीकात्मक फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राजद्रोह कानून को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए हैं. SC ने इसे औपनिवेशिक (colonial )करार देते हुए कहा कि राजद्रोह कानून (Sedition Law) का इस्तेमाल अंग्रेजों ने असहमति की आवाज को चुप करने के लिए किया था.क्या सरकार आजादी के 75 साल भी इस कानून को बनाए रखना चाहती है?
राजद्रोह कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पांच तल्ख कमेंट
- CJI एनवी रमना ने कहा कि राजद्रोह कानून का इस्तेमाल अंग्रेजों ने आजादी के अभियान को दबाने के लिए किया था, असहमति की आवाज को चुप करने के लिए किया था. महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक पर भी ये धारा लगाई गई, क्या सरकार आजादी के 75 साल भी इस कानून को बनाए रखना चाहती है?
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम किसी राज्य या सरकार को दोष नहीं दे रहे हैं. लेकिन देखें कि कैसे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66A का उपयोग जारी है, कितने दुर्भाग्यपूर्ण लोगों को भुगतना पड़ा है और इसके लिए कोई जवाबदेही नहीं है. यह ऐसा है जैसे अगर कोई पुलिस अधिकारी किसी गांव में किसी को ठीक करना चाहता है, तो वह धारा 124 ए का उपयोग कर सकता है. लोग डरे हुए हैं.
- CJI एनवी रमना ने कहा कि सरकार पुराने कानूनों को क़ानून की किताबों से निकाल रही है तो इस कानून को हटाने पर विचार क्यों नहीं किया गया? SC ने कहा कि राजद्रोह कानून संस्थाओं के कामकाज के लिए गंभीर खतरा है.
- SC ने कहा कि राजद्रोह का इस्तेमाल बढ़ई को लकड़ी का टुकड़ा काटने के लिए आरी देने जैसा हैऔर वह इसका इस्तेमाल पूरे जंगल को काटने के लिए करता है.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा 66A को ही ले लीजिए, उसके रद्द किए जाने के बाद भी हज़ारों मुकदमें दर्ज किए गए. हमारी चिंता हमारी चिंता कानून का दुरुपयोग है.इन मामलों में अफसरों की कोई जवाबदेही भी नहीं है.
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