भारत की न्यायपालिका के इतिहास में एक और नया अध्याय जुड़ने जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) 4 फरवरी को अपना स्थापना दिवस (Foundation Day Of Supreme Court) मनाने जा रहा है. 73वें स्थापना दिवस से नई परंपरा की शुरुआत हो रही है. सिंगापुर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुंदरेश मेनन (Chief Justice of Singapor Sundaresh Menon ) इस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे. सुप्रीम कोर्ट के स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में 'बदलती दुनिया में न्यायपालिका की भूमिका' विषय पर एक लेक्चर होगा.
26 जनवरी 1950 को भारत के एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के दो दिन बाद यानी 28 जनवरी 1950 को सुप्रीम कोर्ट अस्तित्व में आया था. सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) को संविधान के भाग 5 अध्याय 4 के अंतर्गत स्थापित किया गया है. संविधान के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय संघीय न्यायालय और भारतीय संविधान का संरक्षक है.
सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने स्थापना दिवस की परंपरा की शुरुआत की है. अभी तक सुप्रीम कोर्ट का अपना कोई इस तरह का दिवस नहीं होता. वहीं, सुप्रीम कोर्ट 26 नवंबर को संविधान दिवस का आयोजन करता है.
ऐसे में सीजेआई ने ये विचार किया कि नए दौर में देश के हर नागरिक को ये जानने का हक है कि बदलते समय में न्यायपालिका कैसे काम कर रही है? साथ ही दुनियाभर में न्यायपालिका कैसे काम करती हैं? नागरिक खासकर युवा वर्ग इससे जुड़े और जागरूक हों. दुनियाभर की कानून जगत की हस्तियां इस मौके पर अपने विचार रखें और कानून के छात्रों को भी इसका लाभ मिले. इसी उद्देश्य से 4 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट स्थापना दिवस समारोह आयोजित कर रहा है.
सूत्रों के मुताबिक, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इस संबंध में सिंगापुर के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुंदरेश मेनन से आग्रह किया कि वो इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करें. चूंकि जस्टिस मेनन भारतीय मूल के हैं. लिहाजा वो इसके लिए तैयार हो गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट अस्तित्व में आने के 73 साल बाद पहली बार अपना स्थापना दिवस समारोह मना रहा है. बड़े स्तर पर मनाए जा रहे इस समारोह का सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर सीधा प्रसारण भी होगा, ताकि देश में दूर दराज के क्षेत्रों में मौजूद नागरिक और खासकर युवा वर्ग इससे जुड़े और जागरूक हो सके.
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