"आप नहीं तो हम करेंगे" : कोस्ट गार्ड में महिलाओं को परमानेंट कमीशन पर SC ने केंद्र को चेताया

सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन कोस्ट गार्ड की एक महिला अधिकारी की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें ICG के लिए योग्य महिला शॉर्ट-सर्विस कमीशन अधिकारियों को परमानेंट कमीशन देने की मांग की गई है.

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नई दिल्ली:

भारतीय तटरक्षक बल यानी इंडियन कोस्ट गार्ड (ICG) महिला अधिकारियों के परमानेंट कमीशन  (Permanent Commission To Woman)को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक बार फिर फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए कहा केंद्र को कड़ी चेतावनी दी. अदालत ने कहा- "आप महिला अधिकारियों को या तो परमानेंट कमीशन दीजिए वरना हम आदेश जारी करेंगे." अब इस मामले में 1 मार्च को सुनवाई होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन कोस्ट गार्ड की एक महिला अधिकारी की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें ICG के लिए योग्य महिला शॉर्ट-सर्विस कमीशन अधिकारियों को परमानेंट कमीशन देने की मांग की गई है. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि कोस्ट गार्ड नेवी और आर्मी से बिल्कुल अलग है. इस मामले में एक बोर्ड बनाई जा चुकी है. इसमें स्ट्रक्चरल चेंजेस की जरूरत है.

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CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "इन सभी कार्यक्षमता आदि तर्कों में 2024 में कोई दम नहीं है. महिलाओं को छोड़ा नहीं जा सकता. अगर आप ऐसा नहीं करेंगे, तो हम ऐसा करेंगे. आप परमानेंट कमीशन दीजिए वरना हम आदेश पारित करेंगे."

इससे पहले अदालत में इस मामले पर 20 फरवरी को सुनवाई हुई थी. तब कोर्ट ने केंद्र सरकार के रवैये पर सवाल उठाए थे. अदालत ने पूछा था- "कोस्ट गार्ड (Coast Guard) को लेकर आपका इतना उदासीन रवैया क्यों है? आप कोस्ट गार्ड में महिलाओं को क्यों नहीं चाहते?" चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, "अगर महिलाएं सीमाओं की रक्षा कर सकती हैं, तो वे तटों की भी रक्षा कर सकती हैं. आप 'नारी शक्ति' की बात करते हैं. अब इसे यहां दिखाएं."

प्रियंका त्यागी  ने लगाई है याचिका
याचिकाकर्ता प्रियंका त्यागी ने खुद को कोस्ट गार्ड के ऑल विमेन क्रू का सदस्य बताया है, जो तटरक्षक बेड़े पर डोमियर विमानों की देखभाल के लिए तैनात किया गया था. यह याचिका AOR सिद्धांत शर्मा के हवाले से दाखिल की गई है. याचिकाकर्ता ने अपनी रिट में 10 वर्षों की शॉर्ट सर्विस नियुक्ति को आधार बनाते हुए एनी नागराज और बबिता पूनिया के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है और न्याय की गुहार लगाई है. 


सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "आप सभी ने अभी तक हमारा बबीता पुनिया जजमेंट नहीं पढ़ा है. आप इतने पितृसत्तात्मक (Patriarchial) क्यों हैं कि आप महिलाओं को कोस्ट गार्ड क्षेत्र में नहीं देखना चाहते? आपके पास नौसेना में महिलाएं हैं, तो कोस्ट गार्ड में ऐसा क्या खास है, जो महिलाएं नहीं हो सकतीं? हम पूरा कैनवास खोल देंगे. वह समय गया जब हम कहते थे कि महिलाएं कोस्ट गार्ड में नहीं हो सकतीं. महिलाएं सीमाओं की रक्षा कर सकती हैं, तो महिलाएं तटों की भी रक्षा कर सकती हैं." 

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