आठ हफ्ते में उपभोक्ता अदालतों में रिक्तियां खत्म कीजिए : राज्यों को सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर आदेशों का पालन नहीं हुआ तो वो चीफ सेकेट्री को बुलाने के लिए मजबूर होगा. अदालत ने राष्ट्रीय आयोग में नियुक्तियों के लिए केंद्र को और समय देने से इनकार किया और कहा कि 8 हफ्ते में ही राज्यों की तरह नियुक्ति करें.

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लोगों की उम्मीदों को मत डुबोइए : केंद्र और राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता अदालतों में नियुक्तियों को पूरा ना करने पर केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार लगाई है. कोर्ट ने
केंद्र सरकार को कहा कि लोगों की उम्मीदों को मत डुबोइए. लोगों को उम्मीद रहती है कि उनकी समस्याओं का समाधान होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारों को कदम उठाने के लिए क्या कोई मुहूर्त चाहिए? अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जिला और राज्य आयोगों में 8 हफ्ते में नियुक्तियां करने के आदेश दिए.

सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर आदेशों का पालन नहीं हुआ तो वो चीफ सेकेट्री को बुलाने के लिए मजबूर होगा. अदालत ने राष्ट्रीय आयोग में नियुक्तियों के लिए केंद्र को और समय देने से इनकार किया और कहा कि 8 हफ्ते में ही राज्यों की तरह नियुक्ति करें. जस्टिस संजय किशन कौल की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि हम सिर्फ पदों पर नियुक्तियां चाहते हैं. अदालत ने जिला और राज्य उपभोक्ता निवारण आयोगों में बड़ी संख्या में रिक्त पदों को नहीं भरने के लिए कई राज्यों को फटकार लगाई और कहा कि लोगों के कल्याण के लिए बनाए गए कानूनों को राज्य पराजित कर रहे हैं. पद बनाने और उन्हें संचालित करने का उद्देश्य क्या है?

 सुप्रीम कोर्ट ने बिहार, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों को फटकार लगाई . दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में कोर्ट द्वारा शुरू की गई स्वतः संज्ञान कार्यवाही के तहत भारत भर में जिला और राज्य उपभोक्ता निवारण आयोगों में लंबित रिक्तियों के संबंध में जानकारी प्रदान करने के लिए जुलाई में भारत सरकार और राज्यों को दो सप्ताह का समय दिया था.

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