मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उठाया बड़ा कदम, 27 CBI केसों को गुवाहाटी किया ट्रांसफर

Manipur Violence Cases: मणिपुर मामले पर CJI ने कहा कि हम पूर्व ट्रायल चरण में हैं. यदि भविष्य में स्थिति में सुधार होता है तो नामित जज मणिपुर जा सकते हैं और वहां सुनवाई कर सकते हैं. फिलहाल मणिपुर में केस संभव नहीं है.

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  • मणिपुर हिंसा मामले में कई दिशा- निर्देश जारी
  • गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से स्पेशल जज नियुक्त करने को कहा
  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होगी आरोपियों की पेशी
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नई दिल्ली:

Manipur Violence Cases: मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है. कोर्ट ने CBI के 27 केसों को असम के गुवाहाटी ट्रांसफर किया. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से स्पेशल जज नियुक्त करने को कहा. इस मामले में कोर्ट ने कई दिशा- निर्देश जारी किए हैं. CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कई दिशा- निर्देश जारी किए हैं.

आरोपियों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होगी
इन दिशा-निर्देशों में गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से गुवाहाटी में एक या ज्यादा स्पेशल जज नियुक्त करने के लिए कहा गया है. इसके साथ ही कहा गया है कि आरोपियों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होगी. जबकि आरोपियों की न्यायिक हिरासत मणिपुर में रहेगी.

मणिपुर राज्य सरकार द्वारा पर्याप्त इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराएगी
वहीं, दिशा-निर्देशों के अनुसार, गवाहों के CrPC 164 के बयान मणिपुर में क्षेत्रीय मजिस्ट्रेट के सामने होंगे. आरोपियों की शिनाख्त परेड मणिपुर में क्षेत्रीय मजिस्ट्रेट के सामने होंगी. इसके साथ ही मणिपुर राज्य सरकार द्वारा पर्याप्त इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराए जाने को कहा गया है. वहीं, अगर कोई गुवाहाटी जाकर बयान दर्ज कराना चाहता है तो इसकी व्यवस्था हो.

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फिलहाल मणिपुर में केस संभव नहीं है-  CJI

मणिपुर मामले पर CJI ने कहा कि हम पूर्व ट्रायल चरण में हैं. यदि भविष्य में स्थिति में सुधार होता है तो नामित जज मणिपुर जा सकते हैं और वहां सुनवाई कर सकते हैं. फिलहाल मणिपुर में केस संभव नहीं है. घाटियों और पहाड़ियों में पीड़ित हैं.  हर किसी को पीड़ा झेलनी पड़ी है, इसलिए पीड़ितों का घाटी से पहाड़ तक और पहाड़ से घाटियों तक पहुंचना मुश्किल है. हम इस पर नहीं हैं कि किसने अधिक कष्ट सहा. दोनों पक्षों को नुकसान उठाना पड़ा है.

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याचिकाकर्ता केसों को असम में ट्रांसफर करने का कर रहे विरोध
CJI ने कहा कि हम निष्पक्ष सुनवाई को लेकर चिंतित हैं. हम अभी कुछ समय के लिए ऐसा कर रहे हैं ताकि ट्रायल शुरू हो सके. मिजोरम आदि में उस तरह का बुनियादी ढांचा नहीं है. हमारे पास महाराष्ट्र या झारखंड की तरह 3000 न्यायिक अधिकारी नहीं हैं. सॉलिसिटर जनरल ने कहा- ये सिर्फ सीबीआई के मामले हैं, बाकी मामले मणिपुर में किए जा सकते हैं. दरअसल, याचिकाकर्ता केसों को असम में ट्रांसफर करने का विरोध कर रहे थे.

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