सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक सुनवाई के दौरान कोरोना वैक्सीन पर चर्चा हो रही थी, उसी दौरान जजों और सॉलिसिटर जनरल मुकुल रोहतगी के बीच हल्का-फुल्का मजाक हुआ. दरअसल, मराठा आरक्षण पर सुनवाई के दौरान कोरोना वैक्सीन पर भी पांच जजों के संविधान पीठ में दिलचस्प चर्चा हो रही थी. महाराष्ट्र सरकार की ओर से मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि मामले को टाल दिया जाए और जल्द शारीरिक रूप से सुनवाई भी शुरू होने वाली है, तब तक हो सकता है कि वैक्सीन भी लग जाए.
पीठ में शामिल जस्टिस नागेश्वर राव ने चुटकी लेते हुए कहा कि 'मिस्टर मुकुल, हम आपको पिछले एक साल से मिस कर रहे हैं.' उनकी इस चुटकी पर मुकुल रोहतगी ने प्रस्ताव रखा कि अटॉर्नी जनरल एजी वेणुगोपाल को अपनी संवैधानिक शक्ति का इस्तेमाल करते हुए जजों व वरिष्ठ वकीलों को वैक्सीन लगाने के लिए सरकार को कहना चाहिए. लेकिन इसपर जस्टिस राव ने कहा कि वैक्सीन लगे या नहीं, रोहतगी को पेश होना होगा.
रोहतगी ने कहा कि उन्होंने दिल्ली सरकार से बात की है अभी वैक्सीन लगने में तीन- चार महीने लग सकते हैं. कपिल सिब्बल ने कहा कि वो एजी से आग्रह करेंगे लेकिन एजी ने कहा कि किसी को वैक्सीन की जरूरत नहीं है.
वरिष्ठ वकीलों को वैक्सीन लगाए जाने की बात को सिब्बल ने बीच में काटकर सवाल किया कि वैक्सीन सिर्फ वरिष्ठ वकीलों को क्यों, पहले जूनियरों को लगनी चाहिए. इसपर रोहतगी ने भी जवाब दिया कि यहां वरिष्ठ का मतलब उम्रदार वकीलों से है वरिष्ठता का गाऊन पहनने वालों के लिए नहीं है.
बता दें कि पांच जजों की बेंच ने मराठा आरक्षण के मुद्दे की सुनवाई को 8 मार्च तक के लिए टाल दिया है. इस बेंच में जस्टिस नागेश्वर राव, एस अब्दुल नज़ीर, हेमंत गुप्ता, एस रवींद्र भट और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट में शारीरिक रूप से आखिरी सुनवाई 23 मार्च, 2020 को हुई थी. ्उसके बाद से कोरोनावायरस लॉकडाउन के चलते सुप्रीम कोर्ट में मामलों की वर्चुअल सुनवाई हो रही है.