दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर 26 नवंबर को सुनवाई करेगा SC

बता दें कि 12 अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में नियुक्ति को क्लीन चिट दी थी. नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खंडपीठ ने खारिज की की थी.

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राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) की दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर  26 नवंबर को सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण को दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल करने को कहा है. केंद्र सरकार ने जनहित याचिका के तहत सुनवाई का विरोध किया. SG तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट फैसला दे चुका है इसलिए उसे चुनौती दी जानी चाहिए. उन्होंने हल्के फुल्के अंदाज में कहा, “ भूषण हमेशा सरकार चलाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें सरकार ना चलाने दिया जाए".

दरअसल, प्रशांत ने कहा था कि जब तक वो नई याचिका दाखिल करें, सरकार जवाब दाखिल कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण को हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर सोमवार तक नई याचिका दाखिल करने की इजाजत दी. सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कहा कि हमारे सुप्रीम कोर्ट  में याचिका दाखिल करने के बाद हमारे जैसी ही याचिका कॉपी पेस्ट करके दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल की गई थी. हमारी याचिका सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट की याचिका से पहले से लंबित है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने ही हाईकोर्ट को उस याचिका पर सुनवाई करने का निर्देश दिया था. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका की योग्यता पर सवाल उठाया. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट मामले में फैसला सुना चुका है. प्रशांत भूषण ने दिल्ली हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल की थी. उनका पक्ष भी सुना गया ऐसे में अब यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं रह गई है. 

12 अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में नियुक्ति को क्लीन चिट दी थी. नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खंडपीठ ने खारिज की की थी. हाईकोर्ट के फैसले से केंद्र सरकार और आयुक्त राकेश अस्थाना को राहत मिली थी. राकेश अस्थाना दिल्ली पुलिस कमिश्नर के तौर पर बने रहेंगे. 

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दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान राकेश अस्थाना के लिए पेश पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि ये जनहित याचिका वास्तविक रूप से जनहित याचिका नहीं है. याचिकाकर्ता एक प्रॉक्सी है और इस जनहित याचिका के पीछे कोई और है. 

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सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका दायर करने के लिए स्पष्ट रूप से दिशा-निर्देश निर्धारित किए हैं और मामले में इन शर्तों को पूरा किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से उन मामलों में इनकी आवश्यकता जताई थी जहां जनहित याचिका से कुछ 'सार्वजनिक नुकसान' हो सकता है. इस अधिकारी को नियुक्त करने में जनता को कहां नुकसान है?  इस याचिका के पीछे निहित स्वार्थ हैं. याचिका को असाधारण जुर्माने के साथ खारिज कर दिया जाए. अस्थाना की ओर से कहा गया कि
 प्रशांत भूषण की ओर से इस मामले में व्यक्तिगत प्रतिशोध लिया जा रहा है. पहले भी मामले दर्ज हुए हैं जो खारिज हो चुके हैं और जब वे याचिका दायर कर रहे हैं तो वे सोशल मीडिया पर भी अभियान चला रहे हैं. हमने  2017 से  भूषण के ट्वीट संलग्न किए हैं. इस मामले में प्रकाश सिंह के फैसले को लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि प्रकाश सिंह राज्यों के डीजीपी की नियुक्तियों से संबंधित है और दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं है. दिल्ली का अपना स्वतंत्र कैडर नहीं है जिससे उम्मीदवारों को चुना जा सकता था. दिल्ली AGMU कैडर के तहत कई अन्य क्षेत्रों के साथ अपना कैडर साझा करती है.
 

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