- सुप्रीम कोर्ट में कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले में राष्ट्रीय न्यायिक आयोग गठित करने की मांग की गई है.
- याचिकाकर्ता ने दवाओं की बिक्री और वितरण पर तत्काल रोक लगाने की भी मांग की है.
- केंद्र सरकार से सभी सिरप आधारित दवाओं में जहरीले रसायनों की जांच कराने का आदेश देने को कहा गया है.
कफ सिरप पीने से कई राज्यों में बच्चों की मौत का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. मामलों की जांच के लिए सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज की अध्यक्षता में राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग की गई है.
याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने कहा है कि आरोपी कंपनी द्वारा बनाई गई सभी दवाओं की बिक्री और वितरण पर तत्काल रोक लगाई जाए. केंद्र सरकार और CDSCO को देशभर में सभी सिरप आधारित दवाओं की DEG और EG जांच कराने का आदेश दिया जाए.
याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने कहा है कि एक “Drug Recall and Pharmacovigilance Portal” शुरू किया जाए, ताकि दूषित या नकली दवाओं की रीयल-टाइम निगरानी हो सके, जिन कंपनियों को दोषी पाया जाए, उनके लाइसेंस रद्द किए जाएं और आपराधिक कार्रवाई शुरू की जाए. केंद्र को निर्देश दिया जाए कि वह “राष्ट्रीय दवा रिकॉल नीति” और “टॉक्सिकोलॉजिकल सेफ्टी प्रोटोकॉल” तैयार करे, जिससे बच्चों की दवाओं की रिलीज से पहले अनिवार्य सुरक्षा परीक्षण हो.
याचिका में आरोप है कि Diethylene Glycol (DEG) और Ethylene Glycol (EG) जैसे जहरीले रसायनों से दूषित सिरप ने मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में मासूम बच्चों की जान ली है, और यह सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की गंभीर विफलता को दर्शाता है. याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि बार-बार बच्चों की मौत के बावजूद सरकारें ठोस कदम नहीं उठा रहीं, और यह मामला जनजीवन, संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़ा हुआ है.