दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा सहित सभी छह आरोपी अगले आदेश तक जेल से रिहा नहीं होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के आदेश पर रोक लगा दी है. बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने शुक्रवार को जीएन साईबाबा को माआवोदियों से कथित संबंधों के आरोपों से बरी कर दिया था. साथ ही कोर्ट ने उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश जारी किया था. हालांकि इस फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने जीएन साईबाबा की हाउस अरेस्ट की गुहार को भी ठुकरा दिया है. कोर्ट ने कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि उन्हें एक गंभीर अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की अपील को मंजूर करते हुए आरोपी साईंबाबा समेत अन्य आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने साईबाबा सहित अन्य आरोपियों से 8 दिसंबर तक जवाब तलब किया है. इस मामले में अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी.
जस्टिस शाह ने कहा इस अदालत की प्रथम दृष्टया राय है कि हाईकोर्ट के फैसले के संबंध में विस्तृत जांच की आवश्यकता है, क्योंकि हाईकोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ कथित गंभीर अपराध को देखते हुए मामले की मेरिट पर विचार नहीं किया है.
बता दें कि 9 मई 2014 को साईबाबा को गिरफ्तार करके अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. मार्च 2017 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की सत्र अदालत ने साईबाबा और पांच अन्य को यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के तहत दोषी ठहराया. साईबाबा और चार अन्य को आजीवन कारावास की सजा और एक को दस साल की कैद की सजा सुनाई गई.
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