मथुरा श्रीकृष्ण जन्म भूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को तलब किया है. 30 अक्टूबर को हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को केस रिकॉर्ड समेत पेश होने का आदेश दिया. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केस का डिटेल हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से मांगा था. कोर्ट ने पूछा था कि कितने केस दाखिल हैं ओर क्या स्टेटस है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सारे केसों की एक साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हो तो बेहतर होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से केस संबंधी ब्योरा मांगा था. हाईकोर्ट रजिस्ट्रार से पूछा था कि इस मामले में कौन- कौन सी याचिकाऐं एक साथ जोडी जानी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान संकेत दिया था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ही सारे मामले सुनेगा. जस्टिस संजय किशन कौल ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि बेहतर है कि ये मामला हाईकोर्ट ही सुने क्योंकि मामले में कई सारी याचिकाएं दाखिल हैं.
ऐसे में सभी हितधारकों के लिए ये सही है कि हाईकोर्ट सारे मामलों को सुने, ये सभी के बड़े हित में है. इन मामलों पर किसी ना किसी को तो विवेक का इस्तेमाल करना है. इस तरह का मामलों का जितनी जल्दी निपटारा हो वो बेहतर होगा. इलाहाबाद हाईकोर्ट के सारे केस अपने पास ट्रांसफर करने के आदेश के खिलाफ शाही ईदगाह कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने मथुरा की शाही ईदगाह कमेटी की याचिका पर सुनवाई की.
शाही ईदगाह कमेटी (मुस्लिम पक्ष) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से रोक लगाने की मांग की है. हालांकि, इस मामले में हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दाखिल कर मांग कर चुके है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर कोई आदेश पारित करने से पहले उनकी दलीलों को भी सुना जाए. मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट के 26 मई के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है.
ईदगाह कमेटी की याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट का फैसला तथ्यों और कानून के आधार पर सही नहीं है. इतना ही नहीं हाईकोर्ट का फैसला, मुस्लिम पक्ष के अपील के वैधानिक अधिकार को खत्म कर देता है क्योंकि यह मुकदमे के दो अपीलीय चरणों को खत्म कर रहा है. दरअसल 26 मई को, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा की जिला जज की अदालत में चल रहे कृष्ण जन्मभूमि से संबंधित सभी याचिकाओं को खुद के पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर कर लिया था.
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