सुप्रीम कोर्ट ने CLAT-UG मेरिट लिस्ट को संशोधित करने वाले दिल्ली HC के फैसले पर लगाई रोक

ए सेट को हल करने का प्रयास करने और अखिल भारतीय रैंक 22 हासिल करने वाले अभ्यर्थी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में तर्क दिया कि हाईकोर्ट के निर्देश ने ए सेट प्रश्नपत्र प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को बी,सी और डी सेट प्राप्त करने वाले छात्रों की तुलना में नुकसान में डाल दिया है.

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CLAT-UG मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने CLAT-UG 2025 मेरिट लिस्ट को संशोधित करने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक (Supreme Court On Delhi High Court Decision) लगा दी है. हाई कोर्ट ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज के कंसोर्टियम को अंडरग्रेजुएट (यूजी) एडमिशन के लिए कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) 2025 की मेरिट लिस्ट में कुछ प्रश्नों में गलतियों के कारण संशोधन करने का निर्देश दिया था. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने 23 अप्रैल को हाईकोर्ट की बेंच द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया.

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सेट B,C,D  प्रश्नपत्र हल करने वालों को नंबर देने का मामला

दिल्ली हाईकोर्ट ने सेट बी, सी और डी प्रश्नपत्रों में चार प्रश्नों में त्रुटियां पाई थीं. अदालत ने निर्देश दिया था कि इन प्रश्नों के लिए उन उम्मीदवारों को अंक दिए जाएं, जिन्होंने उक्त सेटों को हल किया था.  CLAT कंसोर्टियम को चार हफ्ते की अवधि के भीतर मेरिट सूची को संशोधित करने का निर्देश दिया गया था. हालांकि, हाईकोर्ट ने ए सेट को हल करने वाले उम्मीदवारों को यह लाभ नहीं दिया और कहा कि इस सेट में कोई त्रुटि नहीं थी.

यचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से क्या कहा?

ए सेट को हल करने का प्रयास करने और अखिल भारतीय रैंक 22 हासिल करने वाले अभ्यर्थी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में तर्क दिया कि हाईकोर्ट के निर्देश ने ए सेट प्रश्नपत्र प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को बी,सी और डी सेट प्राप्त करने वाले छात्रों की तुलना में नुकसान में डाल दिया है. इसलिए, उच्च न्यायालय के निर्देश ने याचिकाकर्ता को समान अवसर से वंचित कर दिया.
 

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