धर्मांतरण विरोधी कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने UP-उत्तराखंड समेत 4 राज्यों से मांगा जवाब

याचिकाकर्ताओं में जमीयत उलेमा ए हिंद और सिटीजन फ़ॉर जस्टिस एंड पीस जैसे कई संगठन शामिल हैं. उनका कहना है कि ये कानून अलग-अलग धर्मों से ताल्लुक रखने वाले जोड़ों को परेशान करने का जरिया बन गए हैं.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
धर्मांतरण विरोधी कानून पर सुप्रीम कोर्ट.
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत 4 राज्यों से धर्मांतरण विरोधी कानूनों पर जवाब मांगा है.
  • राज्यों से जवाब आने के बाद धर्मांतरण विरोधी कानूनों पर रोक वाली याचिका पर विचार किया जाएगा.
  • दावा है कि ये कानून विभिन्न धर्मों के जोड़ों को परेशान करने और धर्मांतरण के झूठे आरोप लगाने का माध्यम बने हैं.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण विरोधी कानून पर UP-उत्तराखंड समेत 4 राज्यों से जवाब (Anti Conversion Law) मांगा है. अदालत ने कानूनों पर रोक लगाने की याचिका पर राज्यों से चार हफ़्तों में जवाब मांगा है. इसे लेकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान को नोटिस जारी क्या गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह कानूनों की जांच करेगा. कोर्ट इस बात पर भी विचार करेगा कि क्या विभिन्न हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित किया जाए या नहीं.

ये भी पढ़ें-अब उर्वशी रौतेला की बारी... सट्टेबाजी का ऐप, जो सेलेब्रिटीज के लिए बना मुसीबत

SC ने चार राज्यों से मांगा जवाब

लव-जिहाद और गैरकानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन के खिलाफ यूपी,उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और मध्यप्रदेश और गुजरात में बने कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. मामले पर अगली सुनवाई 6 हफ्ते बाद होगी.

राज्यों के जवाब के बाद कानून पर रोक लगाने वाली मांग पर विचार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों के जवाब दाखिल होने के बाद कानून पर रोक लगाने की मांग पर विचार किया जाएगा. कोर्ट ने वकील सृष्टि अग्निहोत्री को याचिकाकर्ताओं की तरफ से नोडल वकील नियुक्त किया है. राज्यों की तरफ से वकील रूचिरा गोयल को नोडल वकील नियुक्त किया गया है.

धर्मांतरण के आरोप में फंसाने की दलील

याचिकाकर्ताओं में जमीयत उलेमा ए हिंद और सिटीजन फ़ॉर जस्टिस एंड पीस जैसे कई संगठन शामिल हैं. याचिकाओं में कहा गया है कि ये कानून अलग-अलग धर्मों से ताल्लुक रखने वाले जोड़ों को परेशान करने का जरिया बन गए हैं. इनकी आड़ में किसी को धर्मांतरण के आरोप में फंसाया जा सकता है.

Featured Video Of The Day
Nushrratt Bharuccha के Mahakal Temple जाने पर बवाल, मौलाना ने बताया Grave Sin