सड़कों पर ओवरस्पीड वाले वाहनों की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की समिति के अध्यक्ष जस्टिस एएम सपरे के साथ मीटिंग करने के आदेश दिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, ASG और एमिक्स क्यूरी गौरव अग्रवाल सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष जस्टिस एएम सपरे के साथ मीटिंग करें. दो हफ्ते में मीटिंग की जाए. कोर्ट ने फरवरी के पहले हफ्ते में रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं.
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने एमवी ऐक्ट की धारा 136ए के प्रावधानों को लागू करने के तौर-तरीकों का एक सहमत सूत्र तैयार करने के लिए कहा है.
इधर, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील केसी जैन ने प्रस्तुत किया कि सड़कों पर मौतों का प्रमुख कारण ओवरस्पीडिंग था और 70 प्रतिशतों मौतें ऐसी ओवरस्पीडिंग के कारण हुई थीं. उन्होंने अदालत से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019 द्वारा शुरू की गई धारा 136ए को लागू किया जाए और ऐसी मौतों को रोकने के लिए सड़कों की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की जाए.
दरअसल, धारा 136ए कहती है कि राज्य सरकार राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों, सड़कों पर या किसी राज्य के भीतर किसी शहरी शहर में जिसकी जनसंख्या अधिक है, सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और प्रवर्तन सुनिश्चित करेगी.
इस मामले में एमिकस क्यूरी गौरव अग्रवाल ने कहा कि मामले की पिछली सुनवाई के अनुसार, सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की समिति के तत्कालीन अध्यक्ष, जस्टिस (सेवानिवृत्त) केएस राधाकृष्णन ने सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक रोडमैप प्रदान किया था.
समिति ने एक सुविधा तंत्र के रूप में काम किया, जहां यह सरकारों को सबसे स्वीकार्य तरीके से इन चीजों को लागू करने के तरीके के साथ सामने आया था. वहीं, केंद्र के लिए पेश ASG माधवी दीवान ने कहा था कि जब राज्यों से जानकारी लेने की बात आती है तो आंकड़े इकट्ठा करने में दिक्कत आती है.
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