सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना की अर्जी पर फैसला सुरक्षित रखा है. केंद्र सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे में कानून व्यवस्था बिगड़ने का हवाला दिया गया है. वहीं राजोआना की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि बम ब्लास्ट में मुख्यमंत्री की मौत हो गई थी. मामले में जुलाई 2007 में सज़ा सुनाई गई थी. हाई कोर्ट ने 2010 में सज़ा बरकरार रखा था. बलवंत सिंह राजोआना 27 साल से जेल में है, 2012 से दया याचिका लंबित है.
राजोआना की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा मौत की सज़ा के मामले में लंबे समय तक देरी करना मौलिक अधिकार का हनन है. 2012 से दया याचिका लंबित है, हम 2023 में आ गए, यह सीधे रूप से कोर्ट के आदेश की अवहेलना है. राजोआना की उम्र 56 साल हो गई, जब घटना हुई थी उस समय युवा था. हम दया याचिका पर उनके फैसले का इंतज़ार नहीं कर सकते, कोर्ट को मामले में अब फैसला सुनाना चाहिए. यह अमानवीय है, विकल्प के रूप में अगर दया याचिका पर फैसला नहीं होता है तब तक राजोआना को पैरोल पर छोड़ा जा सकता . या याचिका पर फैसले देरी पर उनके खिलाफ अवमानना के लिए अलग से कार्यवाही की जा सकती है.
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