गर्ल्स हॉस्टल में रह रही थी शिक्षिका, ट्रांसजेंडर होने की बात कह स्कूल से निकाला; सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसजेंडर शिक्षिका ने याचिका दाखिल किया था. इसकी सेवा गुजरात और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग निजी स्कूलों ने उसकी लैंगिक पहचान उजागर होने के बाद समाप्त कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यूपी और गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा था.

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नई दिल्ली:

ट्रांसजेंडर शिक्षिका को उसकी लैंगिक पहचान उजागर होने के बाद यूपी और गुजरात के निजी स्कूल से निकालने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह एक महत्वपूर्ण मामला है, जिसको हम तय करेंगे.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसजेंडर शिक्षिका ने याचिका दाखिल किया था. इसकी सेवा गुजरात और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग निजी स्कूलों ने उसकी लैंगिक पहचान उजागर होने के बाद समाप्त कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यूपी और गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा था.

याचिकाकर्ता की वकील ने कहा कि यह सामाजिक कलंक का मसला है. यह दिखाता है कि कैसे टीचर को स्कूल में उसकी लैंगिक पहचान के आधार पर तिरस्कार मिला है. मैनेजमेंट यह जानता था कि टीचर ट्रांसवुमन हैं. वह स्टूडेंट्स के साथ विमिंस हॉस्टल में रह रही थीं. लेकिन जैसे ही यह बात फैली कि वह ट्रांसवुमन है. उन्हें बर्खास्त कर दिया गया. अब स्कूल की ओर से यह कहा जा रहा है कि वह समय की पाबंद नहीं थी. इसलिए बर्खास्त किया गया.

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