गलवान में भारत-चीन टकराव के चलते हुए नुकसान पर केंद्र से रुख साफ करने की मांग वाली याचिका SC में खारिज

​CJI यू यू ललित की बेंच ने  याचिका खारिज करते हुए कहा कि ये सब नीतिगत मसले हैं.  इनमें कोर्ट के दखल का कोई औचित्य नहीं है.  ये सीमा पर झड़पें, आक्रमण आदि सभी नीति के दायरे में है.  इसका अनुच्छेद 32 के तहत जनहित याचिका से कोई लेना-देना नहीं है.  ये सभी राज्य के कार्य हैं.

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2020 में गलवान घाटी में भारत- चीन टकराव के चलते हुए नुकसान पर केंद्र सरकार से अपना रुख साफ करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार किया है. कोर्ट ने कहा कि ये सब नीतिगत मामले हैं, अदालत इसमें दखल नहीं देगी. याचिकाकर्ता का कहना था कि सरकार ने जो जानकारी सार्वजनिक की है, वो गलत और भ्रामक है. गलवान टकराव के बाद भी चीन की तरफ से घुसपैठ जारी है, जबकि सरकार लोगों को गुमराह कर रही है और लोगों को अंधेरे में रखे हुए है.

CJI यू यू ललित की बेंच ने  याचिका खारिज करते हुए कहा कि ये सब नीतिगत मसले हैं.  इनमें कोर्ट के दखल का कोई औचित्य नहीं है.  ये सीमा पर झड़पें, आक्रमण आदि सभी नीति के दायरे में है.  इसका अनुच्छेद 32 के तहत जनहित याचिका से कोई लेना-देना नहीं है.  ये सभी राज्य के कार्य हैं.

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के 24 खाली निर्वाचन क्षेत्रों में रहने वाले भारतीय नागरिक के अधिकारों को निलंबित / समाप्त करने की मांग वाली याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार किया. सुप्रीम कोर्ट ने इन सीटों में रहने वाले लोगों के अधिकारों को निलंबित या समाप्त करने की याचिका खारिज की. कोर्ट ने कहा कि वो हिस्सा भारत का हिस्सा है. अदालत इस मामले में दखल नहीं दे सकती. ये पूरी तरह से नीतिगत मामला है. याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र सरकार को प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में इस तथ्य के बारे में शामिल करने का निर्देश दें कि कश्मीर में 24 खाली सीटों का क्षेत्र पाकिस्तान के शासन में है और लोक सभा और राज्य परिषद में रहने वाले नागरिकों के लिए कोई प्रतिनिधि नहीं है. 24 सीटों का क्षेत्रफल जो कश्मीर विधानसभा में खाली है.

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