सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति बालाजी मंदिर की पूजा पद्धति में दखल देने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में पूजा कैसे हो, यह तय करना अदालत का काम नहीं है. कोर्ट ने कहा कि नारियल कैसे तोड़ें? आरती कैसे करें? ये अदालत तय नहीं कर सकती, मंदिरों के अनुष्ठानों में संवैधानिक अदालतें दखल नहीं दे सकतीं. सुनवाई के दौरान CJI एनवी रमना ने कहा कि यदि कोई कमी है तो हम उन्हें इसे ठीक करने के लिए कह सकते हैं. लेकिन हम दिन-प्रतिदिन पूजा करने के तरीके में हस्तक्षेप नहीं कर सकते. पूजा की रस्मों में अदालतें कैसे हस्तक्षेप कर सकती हैं?
कोर्ट ने कहा कि यह एक पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन है. जस्टिस एएस बोपन्ना ने कहा कि यह मामला एक रिट याचिका में तय नहीं किया जा सकता.
याचिकाकर्ता ने कहा कि यह मौलिक अधिकार है. जस्टिस हिमा कोहल ने कहा कि यह मौलिक अधिकार नहीं है
जब तेलुगू में याचिकाकर्ता से बात करने लगे CJI, बोले- 'बालाजी के भक्तों में धैर्य होता है'
CJI एन वी रमना ने फैसले में कहा कि मांगी गई राहत के लिए पूजा अनुष्ठानों के दिन-प्रतिदिन के मामलों में हस्तक्षेप की आवश्यकता है. ऐसे मामले में संवैधानिक अदालतें दखल नहीं दे सकतीं. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि कोई प्रशासनिक कमी है तो मंदिर प्रशासन को ज्ञापन दिया जाए. प्रशासन 8 हफ्ते में उसका जवाब दे. पूजा पद्धति के मामले में याचिकाकर्ता सिविल कोर्ट जा सकता है.
बता दें, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में तिरुपति बालाजी मंदिर में पूजा को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई उस समय रोचक हो गई जब CJI एनवी रमना ने याचिकाकर्ता से तेलूगू में बात करनी शुरु कर दी थी. इससे पहले CJI ने याचिकाकर्ता सिवरा दादा से अंग्रेजी में कहा था कि आप भगवान बालाजी के भक्त हैं. बालाजी के भक्तों में धैर्य होता है. आपके पास धैर्य नहीं है. आप बार-बार SC रजिस्ट्री से संपर्क करते हैं. हर दिन रजिस्ट्री को याचिका सूचीबद्ध करने की धमकी देते हैं, कहते हैं कि मैं मर जाऊंगा अगर केस नहीं लगाया. आप इसे इस तरह नहीं कर सकते. संस्थान की पवित्रता बनाए रखें.
पीएम मोदी ने तिरुपति बालाजी मंदिर में पूजा अर्चना की