सुप्रीम कोर्ट का प्रिंटेड कॉपी ऑफ इलेक्‍टोरल रोल पर आपत्ति जताने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार 

मुख्‍य न्‍यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने चुनाव आयोग के वकील से पूछा कि आखिर चुनाव आयोग को हार्ड कॉपी यानी छपी हुई मतदाता सूची क्यों देनी पड़ती है? छपी मतदाता सूची का दुरुपयोग क्यों और कैसे नहीं हो सकता है? 

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नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वोटर लिस्ट की छपी प्रतियों यानी प्रिंटेड कॉपी ऑफ इलेक्टोरल रोल पर आपत्ति जताने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. इस मामले में मुख्‍य न्‍यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में भी इन्हीं याचिकाकर्ता की यही याचिका लंबित है, लिहाजा पहले वहीं सुनवाई हो. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने चुनाव आयोग के वकील से पूछा कि आखिर चुनाव आयोग को हार्ड कॉपी यानी छपी हुई मतदाता सूची क्यों देनी पड़ती है?

साथ ही मुख्‍य न्‍यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इन पर सालाना 47 करोड़ रुपए खर्च हो जाते हैं और छपी मतदाता सूची का दुरुपयोग क्यों और कैसे नहीं हो सकता है? 

इसका जवाब देते हुए चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि सॉफ्ट कॉपी तैयार करने और डेटा सुरक्षित रखने की प्रक्रिया से गुजरने में वक्त लगेगा. 

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को ही सुनवाई करने दें. हम इस पर सुनवाई के इच्छुक नहीं हैं. 

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