सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को 2003 में जेलर को जान से मारने की धमकी देने के मामले मे हुई सजा के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. इलाहाबाद कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को सात साल की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इसी फैसले पर अंतरिम रोक लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस भी भेजा. जस्टिस बीआर गवई और विक्रम नाथ की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की.
हाईकोर्ट ने 21 सितंबर को अंसारी को बरी करने के निचली अदालत के आदेश को रद्द करते हुए दोषी करार दिया था. हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी को 7 साल की सजा सुनाई थी. निचली अदालत ने मुख्तार अंसारी को इस मामले मे बरी कर दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया था. जानकारी के मुताबिक साल 2003 में मुख्तार लखनऊ जेल में थे. उस समय जेलर एसकी अवस्थी थे, जेल में मुख्तार अंसारी से लोग मिलने आए थे.
जेलर एसके अवस्थी ने तलाशी लेने का आदेश दे दिया था, तब उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी. उनके साथ गाली-गलौज करते हुए मुख्तार ने पिस्तौल तान दी थी. थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था. इस मामले में निचली अदालत ने मुख्तार अंसारी को बरी कर दिया था. जिसके खिलाफ सरकार ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अपील की थी.
ये भी पढ़ें : कोर्ट ने नोटबंदी को सही माना, इसका मकसद गरीब कल्याण था : SC के फैसले पर BJP
ये भी पढ़ें : "ऐसे लोगों को फांसी मिलनी चाहिए"; कार से घसीटे जाने वाली लड़की की मौत पर अरविंद केजरीवाल