मुस्लिमों को 'बदनाम' करने वाले वीडियो हटेंगे? जानें सुप्रीम कोर्ट से क्या है अपडेट

अधिवक्ता जफीर अहमद की ओर से दायर अर्जी में कहा गया है कि सत्तारूढ़ दल होने के नाते, असम प्रदेश भाजपा भारत के संविधान से बंधा हुआ है और इस प्रकार संविधान के मूल ढांचे का हिस्से के तौर पर धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बनाए रखने के लिए बाध्य है.

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  • सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा असम इकाई के सोशल मीडिया वीडियो हटाने के अनुरोध पर सुनवाई के लिए मंगलवार को सहमति दी
  • भाजपा असम इकाई ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाता हुआ विवादित वीडियो शेयर किया था
  • वीडियो को 18 सितंबर तक लाखों बार देखा गया और री-पोस्ट किया गया, जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ने का खतरा है
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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई के लिए मंगलवार को सहमत हो गया, जिसमें सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की असम प्रदेश इकाई के हैंडल को कथित तौर पर मुसलमानों को खुलेआम निशाना बनाने वाले और बदनाम करने वाले वीडियो हटाने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने अर्जी पर नोटिस जारी किया और इसकी सुनवाई के लिए 28 अक्टूबर की तारीख तय की.

याचिका में दावा किया गया है कि भाजपा की असम इकाई ने 15 सितंबर, 2025 को अपने आधिकारिक ‘एक्स' हैंडल पर एक वीडियो प्रसारित किया था, जिसमें ‘‘एक बेहद झूठा विमर्श दिखाया गया था. उसमें कहा गया था कि अगर भाजपा असम में सत्ता में नहीं रहती है, तो मुसलमान असम पर कब्ज़ा कर लेंगे.''

याचिका में यह भी कहा गया है कि वीडियो में वर्तमान सत्ता परिवर्तन के परिणामों को दर्शाया गया है और इसमें मुस्लिम समुदाय के लोग (टोपी और बुर्का पहने हुए) चाय बागानों, गुवाहाटी हवाई अड्डे और शहर पर कब्जा करते हुए दिखाई दे रहे हैं.

'वीडियो के जरिए मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा'

अधिवक्ता जफीर अहमद की ओर से दायर अर्जी में कहा गया है, ‘‘सत्तारूढ़ दल होने के नाते, असम प्रदेश भाजपा भारत के संविधान से बंधा हुआ है और इस प्रकार संविधान के मूल ढांचे का हिस्से के तौर पर धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बनाए रखने के लिए बाध्य है. लेकिन, इसके आधिकारिक ट्विटर हैंडल से प्रसारित वीडियो खुले तौर पर मुसलमानों को निशाना बनाता है, उनकी निंदा करता है और उन्हें बदनाम करता है.''

इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार सभी समुदायों की संरक्षक होती है और संविधान द्वारा उसे धर्म, नस्ल, जाति, लिंग और भाषा के आधार पर भेदभाव करने से विशेष रूप से प्रतिबंधित किया गया है.

याचिका के अनुसार, ‘‘इस प्रकार, एक निर्वाचित सरकार पर निष्पक्ष, न्यायसंगत और धर्मनिरपेक्ष होने का दायित्व कहीं अधिक होता है.'' अर्जी में दावा किया गया है कि वीडियो असम भाजपा के आधिकारिक ‘एक्स' हैंडल पर साझा किया गया था और 18 सितंबर, 2025 तक इसे 6,100 बार री-पोस्ट किया गया, 19,000 बार लाइक किया गया और 46 लाख बार देखा गया.

इस प्रकार, सांप्रदायिक वैमनस्य, अशांति और दुश्मनी को और फैलने से रोकने के लिए इसे तुरंत हटाया जाना आवश्यक है. अर्जी में ‘एक्स' इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और असम प्रदेश भाजपा को पोस्ट किए गए वीडियो को हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. यह अर्जी एक लंबित मामले में दायर की गयी है, जिसमें नफरत भरे भाषणों का मुद्दा उठाया गया है.

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