सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ( Hindustan Zinc Limited) विनिवेश मामले में साल 2002 की सरकारी हिस्सेदारी बिक्री में विनिवेश की नियमित सीबीआई (CBI) जांच के आदेश दे दिये हैं. हालांकि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि सीबीआई पहले ही इस मुद्दे पर विचार कर चुकी है, जांच को बंद कर दिया जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आग्रह को ठुकरा दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि पहली नजर में साल 2002 की सरकारी हिस्सेदारी बिक्री में विनिवेश मानदंडों के उल्लंघन का मामला मौजूद है. अदालत ने कहा कि सरकार विनिवेश शेयरधारिता पर फैसला लेने की हकदार है, जब तक कि प्रक्रिया पारदर्शी है और सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त प्राप्त करती है.
सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के कथित रूप से बहुत कम कीमत पर विनिवेश की सीबीआई जांच का आदेश दिया है. इसके बाद एक वेदांत समूह की कंपनी स्टरलाइट ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड का प्रबंधन नियंत्रण में ले लिया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वर्तमान सरकार HZL में अपने शेष 29.5 प्रतिशत का विनिवेश कर सकती है.
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