तमिलनाडु (Tamilnadu) में 17 साल की छात्रा लावण्या की मौत के मामले की CBI जांच जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फिलहाल CBI जांच में दखल देने से इनकार किया है हालांकि तमिलनाडु DGP की याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता और CBI को नोटिस देकर जवाब मांगा है. तमिलनाडु की ओर से DGP की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि ये जहर खाकर खुदकुशी का मामला है, लेकिन हाईकोर्ट इसमें लगातार आदेश दे रहा है. ये कोई धर्म परिवर्तन का मामला नहीं है. सीबीआई को सौंपे जाने के खिलाफ तमिलनाडु पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि हाईकोर्ट द्वारा CBI जांच के आदेश को “ प्रतिष्ठा का मुद्दा" ना बनाएं. राज्य पुलिस द्वारा एकत्र किए गए सबूतों को सीबीआई को सौंपा जाए.
राज्य के DGP ने मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच के उस फैसले को चुनौती दी है. DGP ने कहा है कि हाईकोर्ट के CBI जांच के आदेश पर रोक लगाई जाए. वहीं छात्रा के पिता ने भी कैवियट याचिका भी दाखिल की है . दरअसल अदालत ने 17 साल की लड़की के सुसाइड के मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था. बेंच ने कहा था कि धर्म परिवर्तन के आरोपों को सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रकाश में लाया था और याचिकाकर्ता (लड़की के पिता) को राज्य पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है
. 31 जनवरी को जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने जांच को सीबीआई के हाथों में सौंपे जाने का आदेश दिया था और उम्मीद जताई थी कि मामले की सच्चाई सामने आ पाएगी. अदालत ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने अदालत का रुख किया और उन्होंने CB-CID जांच की मांग की थी. याचिकाकर्ता ने तमिलनाडु के DIG की निगरानी में इस जांच को कराए जाने की मांग की थी. इसका मतलब है कि उन्हें जिला पुलिस पर विश्वास नहीं है, लेकिन मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान उन्होंने CBI जांच की मांग की थी. याचिका में कहा गया है कि धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन और धर्मांतरण करने के लिए डराना-धमकाना, किसी भी प्रकार का लालच देना संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 25 का उल्लंघन है . गौरतलब है लावण्या ने 19 जनवरी को तमिलनाडु के तंजावुर में कथित तौर पर जहर खा लिया . उसने मरने से पहले दिए गए बयान में बताया कि मिशनरी स्कूल द्वारा उसे प्रताड़ित किया गया और ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव डाला गया था.